Thursday, June 7, 2012

जेल के कैदी पठाई के साथ साथ व्यावसायिक कोर्सो का ज्ञान भी अर्जित कर रहे हैं


 करनाल
जेल किसी अपराधी को बंदी के रूप में रखकर उसे प्रायश्चित करवाने का घर ही नहीं बल्कि कसूरवार जीवन में दोबारा सजा पाने की गलती न करने का संकल्प लेकर एक अच्छा इंसान बनकर जेल से बाहर आए तो आप इसे नई जिंदगी या परिवर्तन क्या कहेंगे ? करनाल जेल की हकीकत ऐसी ही है और अधिकारिक परिभाषा में इसे सुधार का नाम दिया जा रहा है। इस जेल में रह रहे कैदी पढ़ाई  के साथ-साथ बढई का कार्य, वैल्डिंग तकनीक, कटिंग, टेलरिंग व ड्रेस मेकिंग, पलम्बर, एम्ब्रायडरी, रेडियो व टी.वी. तकनीशियन, ब्यूटी कल्चर तथा कैटरिंग मैनेजमेंट जैसे व्यावसायिक कोर्सो का ज्ञान भी अर्जित कर रहे हैं। योगिक क्रियाएं और संगीत को कैदी बड़ी रूचि लेकर सीख रहे हैं। हाल ही में यहां के कैदियों द्वारा मिटटी व लकड़ी की कलात्मक वस्तुएं तथा खूबसूरत पेंटिंग भी तैयार की गई हैं और इन वस्तुओ को लेकर एक क्रिएटिविटी सेन्टर करनाल जेल में स्थापित किया गया है, जिसका उपायुक्त रेनू एस. फुलिया ने आज प्रात: उदघाटन कर अवलोकन किया। कैदियों द्वारा मिटटी से बनाई गई देवी देवताओं की खूबसूरत प्रतिमाओं को देखकर उपायुक्त अभिभूत हुई और प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकी।

क्रिएटिविटी सेन्टर के उदघाटन के बाद उन्होंने जेल परिसर में भारत विकास परिषद की करनाल शाखा की ओर से आयोजित योग शिविर में शिरकत की। परिषद के अध्यक्ष डाक्टर सी.के. ठाकुर ने करीब एक घंटा कैदियों को प्राणायाम, अनुलोम-विलोम तथा कई योगासनों का प्रशिक्षण भी दिया। उपायुक्त ने भी मंच पर विराजमान योग शिक्षकों की टीम के साथ बैठकर योग क्रियाएं की। जेल में यह शिविर चार दिन तक चलेगा।
योग शिविर में आज पहले दिन की योग कक्षा जैसी ही समाप्त हुई उपायुक्त ने उपस्थित महिला एवं पुरूष बंदियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जाने-अनजाने में छोटी से भूल आदमी को अपराधी बना देती है और फिर सजा पाने के बाद उसे जेल में जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जेलों में बड़ी संख्या में बंद कैदियों के रूप मे हमारे देश की मानव-शक्ति एक तरह से बेकार हो जाती है। यदि आदमी अपराध न करे और अपनी शक्ति को रचनात्मक कार्यो में लगाएं तो देश की प्रगति की रफ्तार में और इजाफा हो सकता है। उपायुक्त के बोलने से पूर्व कई बंदियों ने मंच पर आकर जेल में अपनी सजा गुजारते हुए अपने जीवन में परिवर्तन को स्वीकार करते हुए अनुभवो को सांझा करते हुए कहा कि उन्होंने यहां के माहौल से प्रभावित होकर कसम खाई है कि जेल से बाहर जाकर वे अपना शेष जीवन अच्छे इंसान के रूप में व्यतीत करेंगे। कैदियों के मुंह से ऐसी बाते सुनकर उपायुक्त ने जेल अधीक्षक से कहा कि जिन कैदियों का आचरण या व्यवहार अच्छा है, उनकी सजा माफी के लिए सरकार को लिखा जायेगा।

उपायुक्त ने कहा कि स्वस्थ तन और मन के लिये योग जरूरी है। योग से मनुष्य रोगमुक्त व तनाव रहित हो जाता है और योग से व्यक्तित्व का विकास होता है। कुछ चीजे जिन्दगी मे सीखनी जरूरी हैं, योग भी इनमें से एक है लेकिन योग करने के लिये इसका प्रशिक्षण व अभ्यास जरूरी है। इसके बाद ही योग के आसन व क्रियाओं को सही ढंग से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि योग से संयम मिलता है, और संयम रखना सबके लिए जरूरी है। उन्होंने बंदियों से कहा कि अनुदेशको की बातों को ध्यान से सुने और उनके द्वारा करवाई जा रही क्रियाओं को ध्यान से करें। जो बंदी प्रशिक्षित हो जाते हैं वे खुद दूसरे बंदियों को प्रतिदिन योग करवाएं।
उपायुक्त ने करनाल जेल में हो रहे विभिन्न सुधारो का जिक्र करते हुए इसे प्रदेश की आदर्श जेल करार दिया और इसके लिए यहां के अधीक्षक शेरसिंह की मुक्त कंठ से सराहना की।
इससे पूर्व जेल अधीक्षक शेरसिंह ने उपायुक्त का स्वागत किया और जिला जेल में बंदियों के लिए जुटाई जा रही सुविधाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जेल में रह रहे कैदी संगीत में भी रूचि ले रहे हैं  जिससे उनका रूझान भक्ति की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि यहां के कैदी अपने साथी कैदियों से ही हिंदी के साथ-साथ उर्दू, अरबी और अंग्रेजी भाषा भी सीख रहे हैं। बहुत से कैदी यहां आने के बाद आत्म-ग्लानि से भरे हुए हैं और प्रण करते हैं कि वे जिंदगी में दोबारा अपराध न हो इससे तौबा कर चुके हैं। इस अवसर पर कैदियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर जेल उप-अधीक्षक संजीव कुमार बुधवार व रेशम सिंह, हेड वार्डर राम प्रकाश, भारत विकास परिषद करनाल की ओर से डाक्टर वी.के. सिंगला, प्रोफेसर वी.के. बंसल, अशोक महेन्द्र, श्रीमती प्रभा देवी व साधना सिंह तथा डाक्टर सरिता ठाकुर भी उपस्थित थी।


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