Saturday, October 15, 2011

गांवों के चहूमुखी विकास के बिना प्रदेश और देश के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती:जगन्नाथ पहडिय़ा


काम्बोज /अनेजा नीलोखेडी/करनाल  
हरियाणा देश का वह अग्रणी राज्य है जो पंचायती  राज संस्थाओं के माध्यम से विकास की गति को तेज कर रहा है। हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं पर पूरा भरोसा और विश्वास रखते हुए उन्हें बड़ी प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां दी गई है और वे भी अपनी कुशलता का परिचय देते हुए ग्रामीण विकास की कसौटी पर खरी उत्तरी है। ये उदगार हरियाणा के राज्यपाल श्री जगन्नाथ पहडिय़ा ने  हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान, नीलोखेडी में ग्राम विकास में पंचायतों का योगदान विषय पर आयोजित गोष्ठी में बोलतें हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गांवों के चहूमुखी विकास के बिना प्रदेश और देश के विकास की कल्पना नहीं की जा सकी लेकिन यह विकास इसमें आम आदमी की भागीदारी से ही सम्भव है। जब आम आदमी विकास में भागीदार होगा तो हाशिए पर पड़े देश के आखिरी आदमी तक हमारी योजनाओं का लाभ पहुंचेगा।
राज्यपाल ने कहा कि पंचायतों को हमारी प्रजातन्त्र का प्रणली का मुल आधार माना जाता है। इसलिए गांधी जी पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत बनाने के पक्षधर थे और उन्होंने ग्रामस्वराज की परिकल्पना की थी। उन्होंने कहा कि इस समय  हम देश में विकेंद्रीकरण पर जोर दे रहे है। जिसका उदेश्य शहरों और गांवों के स्तर पर वहां की जरूरतों की पहचान करके और वहां की प्राथमिकता को तय करके विकास के कामों की योजना बनाना है। इन योजनाओं को बनाने में पंचायतें अधिक कारगर भूमिका निभा सकती है। क्योंकि उन्हें व्यवहारिक रूप से पता होता है कि कहां, कितने और कैसे विकास की जरूरत है। इसलिए ग्राम पंचायतों की गांव के विकास व निर्माण में वहीं भूमिका है जो फसल तैयार करने में किसान की होती है। उन्होंने कहा कि गांव और पंचायत एक दूसरे के पर्याय  है जहां गांव है वहां पंचायत भी अवश्य विद्यमान है और पंचायत के बिना गांव का भी कोई अस्तित्व नहीं है। 


हरियाणा में पंचायत राज संस्थाओं की दी गई शक्तियों की सहराना करतें हुए राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है जिसने इन संस्थाओं को 10 प्रमुख विभागों का काम सौंपा हुआ है। उन्होंने खुशी प्रक ट की कि अब विकास कार्य के लिए ग्रांट की राशि सीधे ही पंचायतों के खातों में जमा करवाई जाती है और पंचायत समिति को हर साल विकास कार्य के लिए 50 लाख रूपये की ग्रांट दी जाती है। उन्होंने कहा कि ग्राम विकास की सभी योजनाएं अब पंचायतों के माध्यम से चल रही है। इनमें महात्मा गांधी राष्टीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना, महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना, इन्दिरा आवास योजना, स्र्वण जंयती रोजगार योजना, ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम इत्यादि योजनाएं शामिल है।इससे पहले हरियाणा के मुख्य संसदीय सचिव श्री धर्मबीर ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमें विकास की योजना तैयार करने से पहले ग्राम सभा के माध्यम से गांववासियों से पूछना चाहिए कि उन्हें किस कार्य को प्राथमिकता देनी है। उन्होंने कहा कि पुराने जमाने की पंचायत प्रणाली बहुत कारगर और मजबूत थी। जब गांव की ज्यादातर समस्याओं, विवादों और विकास की जरूरतों को गांव के स्तर पर ही निपटा लिया जाता था। अब भी पंचायती राज को मजबूत करके हम वर्तमान समय की सभी बुराईयों को दूर कर सक ते है।
भारतीय प्रशासनिक संस्था में हरियाणा क्षेत्र के चेयरमेन एम.सी गुप्ता ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम गांव और शहर को एक दृष्टि से देेखे और उनके लिए समेकित विकास योजनाएं तैयार करे। उन्होंने कहा कि अब शहरों ने गांवों को निगल लिया है तथा गांव शहरों में आ गया है। इसलिए दोनों के बीच भेदभाव न करके क्षेत्रीय विकास व सामूहिक विकास की परिकल्पना पर जोर दिया जाये। 
विकास एवं पंचायत विभाग के वितायुक्त रोशन लाल ने हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं को दिये गये वितीय व प्रशासनिक अधिकारों के बारें में विस्तार से बताया। भारतीय प्रशासनिक संस्थान नई दिल्ली के प्रोफेसर वी.एन आलोक ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए पंचायतों के इतिहास और विभिन्न युगों में उनकी स्थित के बारें में विस्तार से बताया। उन्होंने वर्तमान समय में पंचायतों की दशा का भी विश्लेषन किया और पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए सुझाव रखे। उन्होंने ग्राम सभाओं को अधिक सक्रिय करने पर जोर दिया। 
गोष्ठी में जिला परिषद करनाल के चेयरमेन अंग्रेज सिंह धूमसी, पंचायत समिति के सदस्य बलदेव और अरजाहेडी गांव के सरपंच जयसिंह ने भी अपने विचार रखे। हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान, नीलोखेडी के निदेशक डाक्टर सूरत सिंह ने सभी अतिथियों और वक्ताओं का धन्यवाद किया।
इस अवसर पर लेडी गर्वनर श्रीमती शान्ति  पहाडिया, राज्यपाल के सचिव महेन्द्रक कुमार, पंचायत विभाग के निदेशक श्री आनन्द मोहन शरण, करनाल रेज के आई.जी ए.के ढूल, उपायुक्त नीलम प्रदीप कासनी, पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार आर्य, पूर्व राज्य मंत्री श्रीमती मीना मंडल, श्रम विभाग के चेयरमेन रामस्वरूप जांबाज, अनेक सरपंच, पंच व पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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