विजय काम्बोज इन्द्री
भारतीय किसान यूनियन के दो गुटों में कृषि बीमा योजना के विरोध में सरकार विरोधी संघर्ष का ऐलान करते हुए बैंकों से लेन-देन करने से इनकार कर दिया है और साथ ही सहकारी समितियों के दफ्तरों के बाहर क्रमिक धरने एवं प्रदर्शन शुरु हो गए हैं। भारतीय किसान यूनियन के (मान गुट)पदाधिकारियों की बैठक शनिवार को श्री सतगुरू रविदास जागृति मिशन कार्यालय जुंडला में संपन्न हुई। इस दौरान 3 अक्तूबर को गढ़ी बीरबल पैक्स पर होने वाले प्रदर्शन और 4 अक्तूबर को कैथल में होने वाली किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए जा रहे सैकड़ों वाहनों के काफिले को लेकर आगामी रणनीति पर विचार किया गया। इस मौके पर निर्णय लिया गया कि कैथल में 4 अक्तूबर को होने वाली किसान महापंचायत को भाकियू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रतनमान, प्रदेशाध्यक्ष घासीराम नैन, किसान नेता पालाराम गौड, अंबाला मंडलाध्यक्ष जियालाल, प्रताप सिंह जींद, युवा नेता रणदीप फरल सहित कई नेता संबोधित करेंगे। बैठक को संबोधित करते हुए यूनियन नेताओं ने कहा कि किसान विरोधी फसल बीमा योजना को रद्द करवाने को लेकर भाकियू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रतनमान के नेतृत्व में चलाए जा रहे इस आंदोलन के पक्ष में किसान लामबंद हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना की आड़ में किसानों के साथ सरकार छलावा करने का प्रयास कर रही है, जिसे किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस किसान विरोधी बीमा योजना को सरकार द्वारा तुरंत प्रभाव से रद्द कर देना चाहिए। इसके विरोध में गढ़ी बीरबल पैक्स पर 3 अक्तूबर को धरना-प्रदर्शन किया जायेगा और इस योजना की खामियों को उजागर किया जाएगा।
दूसरी ओर, भारतीय किसान यूनियन (आर्य गुट)ने ऐलान किया है कि जब तक राष्ट्रीय बीमा योजना को रद्द नहीं किया जाता तब तक किसान बैंकों से लेन-देन बंद रखेंगे। भाकियू की आज किसान भवन में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें जिला प्रधान पृथ्वी सिंह ने कहा कि भाकियू इस बीमा योजना विरोध करती है और मांग करती है कि इस बीमा योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए अन्यथा यूनियन किसी बैंक को एक नया पैसा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि बीती 14 सितम्बर को कृषि बीमा योजना के विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा था, जिसका आज तक कोई जवाब नहीं मिला और यूनियन में रोष व्याप्त है। उन्होंने मांग की कि किसानों को लागत के आधार पर सभी फसलों का लाभकारी मूल्य दिया जाए। इसके अलावा जब तक फसलों का लाभकारी मूल्य न दिया जाए तब तक खाद पर व दवाई पर सरकार का नियंत्रण रहना चाहिए
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