Sunday, October 2, 2011

परीक्षाओं में नकल देश की उन्नति में बाधक है:पांडुरंग


काम्बोज/अनेजा करनाल
अतिरिक्त उपायुक्त एम.के. पांडुरंग ने कहा कि परीक्षाओं में नकल होना सामाजिक अभिशाप है,यह देश की उन्नति में सबसे बडी बाधा है। यदि शिक्षक चाहें तो इस अभिशाप को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता है। उन्होंने शिक्षकों का आहवान किया कि वे नकल रहित परीक्षा करवाकर समाज को सही दिशा दें। 
वे एस.डी.वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के सभागार में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 10वी तथा 12वीं की 3 अक्तूबर  से आरंभ होने वाली प्रथम समैस्टर  की परीक्षा में डयूटी देने वाले केन्द्र अधीक्षकों की बैठक को सबोधित कर रहे थे। उन्होंंने कहा कि नकल करना व करवाना दोनों अभिशाप है तथा यह समाज में एक नासूर के समान है। उन्होंने कहा कि शिक्षक इतनी बड़ी उपाधि होती है कि वो हर बड़े काम को आसान कर सकते है। यदि शिक्षक परीक्षा के दौरान अन्दर हो रही गतिविधियों पर नजर रखें तो बाहरी हस्तक्षेप नही हो सकता। यदि शिक्षक अपनी डयूटी के प्रति समर्पण भाव से कार्य करते है तो परीक्षाओं को नकल रहित सम्पन्न करवाया जा सकता है। 
जिला शिक्षा अधिकारी सरिता भंडारी ने केन्द्र अधीक्षकों का आहवान किया कि वे अपने कार्य को निष्ठा एवं ईमानदार से सपन्न करें। इस अवसर पर डी.एस.पी.राजेश कुमार ने सुरक्षा प्रबन्धो के बारे मे जानकारी दी। इस मौके पर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अधीक्षक सतपाल चौहान ने जिले के सभी केन्द्र अधीक्षकों को उनकी डयूटी सौपी तथा परीक्षा सबन्धित आवश्यक दिशा निर्देशों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस वार्षिक परीक्षा के लिए जिले में दोनों परीक्षाओं के 100 केन्द्र स्थापित किए गए हैं। इन केन्द्रों में 10वीं के करीब 22 हजार बच्चे और 12 वीं कक्षा के लिये 15000 के करीब परीक्षार्थी परीक्षा देंगे। उन्होंने बताया कि इन परीक्षाओं को नकल रहित सम्पन करवाने के लिए उडऩ दस्ते लगाए गए है जो विभिन्न केन्द्रों का औचक निरीक्षण करेंगे। यह परीक्षा दो स्तरों में प्रात: व सांयकाल के समय में पूर्ण करवाई जायेगी। उन्होंने बताया कि प्रात: का सत्र 11 से 1.30 बजे तक तथा सांय का 2.30 से सांय 5 बजे तक का होगा। 
इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी मोहन लाल वर्मा व वीना कठपालिया और करण ठुकराल सहित परीक्षा के जुड़े सुपरवाईजर, केन्द्र अधीक्षक व उडऩदस्ता अधिकारी उपस्थित थे।

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