Sunday, October 16, 2011

बेटे की कुंठित लालसा के चलते आज भी हजारों अजन्मी बच्चियों को कोख में ही कत्ल कर दिया जाता है

असन्ध दीपक पंचाल 
समाजसेवी मास्टर महीपाल दूहन ने कहा कि भारतीय संस्कृति में चाहे स्त्री को देवी का दर्जा दिया गया हो लेकिन आज की हकीकत कुछ ओर ही है। बेटे की कुंठित लालसा के चलते आज भी हजारों अजन्मी बच्चियों को कोख में ही कत्ल कर दिया जाता है।
    मास्टर महीपाल दूहन एवं समाजसेवी मास्टर जगदीश जौली पिछले एक वर्ष से कन्या भ्रुण हत्या के खिलाफ चलाए गए उनके अभियान के तहत आज असन्ध के टैक्सी स्टैंड पर टैक्सी चालकों को कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूक करने आए थे। यहां आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होने कहा कि आज

समाज के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। संगीत के क्षेत्र में लता मंगेशकर हो यां आशा भौंसले,समाजसेवा में मदर टैरेसा की मिसाल है वहीं विज्ञान में अंतरिक्ष परी कल्पना चावला ने अपने देश का नाम रोशन किया। जंग-ऐ-आजादी की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने दुश्मनों से लोहा लिया वहीं कस्तूरबा गांधी व यशोदा गोयल का गौरवमई इतिहास हमारे सामने है। उन्होने कहा कि आर्मी जाबांज जवान सैंपर शांति तिग्गा के शौर्य से कौन परिचित नही है। उन्होन कहा कि उपायुक्त करनाल ने जो कन्या भ्रुण हत्या के खिलाफ अभियान छेड़ा है उसे निश्चित ही पुरे देश में छेडऩे की जरूरत है। महीपाल दूहन एवं जगदीश जौली ने पत्रकारों को बताया कि वह निस्वार्थ भाव से प्रदेशभर में घूम-घूमकर कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लोगों को जागरूक कर रहे हैं। उन्होने बताया कि हलांकि भारत में लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक है परन्तु प्रशासन की सख्ती और लोगों में जागरूकता का संचार होने से कन्या भ्रूण हत्या में कमी आई है जोकि एक शुभ संकेत है।

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