नई दिल्ली:
न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था बीईए ने कहा है कि सरकार पीछे के दरवाजे से न्यूज चैनलों पर काबू करने की कोशिश कर रही है.कल ही सरकार ने कहा था कि न्यूज चैनलों को पांच बार नियम तोड़ने के दोषी पाए जाने पर उसको दोबारा से लाइसेंस नहीं दिया जाएगा.|सरकार
ने कल कैबिनेट में टीवी चैनलों खासकर न्यूज चैनलों में कथित भेड़ चाल को
रोकने के नाम पर नए दिशा निर्देश बनाकर एक बार फिर से न्यूज चैनलों पर काबू
पाने की कोशिश की है|सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज चैनलों
के लिए नई गाइडलाइन जारी करते हुए कहा है कि प्रोग्रामिंमग और
एडवर्टाइजिंग कोड का अगर कोई पांच बार उल्लंघन करता है तो सरकार उस चैनल को
बंद कर सकती है|सरकार का दावा है कि ऐसा करने से व्यवसाय को लेकर
गंभीर कंपनियां ही प्रसारण के क्षेत्र में आएगी. सरकार के कल जो
विवादास्पद फैसले लिए हैं, वे निम्न हैं-
1. सरकार ने नए न्यूज चैनलों के लिए पूंजी की सीमा तीन करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दी है.
2. सरकार ने नए चैनल का लाइसेंस लेनेवालों पर तय समय में चैनल ना शुरु कर पाने की सूरत में दो करोड़ रुपए की बैंक गारंटी की शर्त रखी है. एक साल में चैनल ना शुरु कर पाने की शर्त पूरी ना होने पर लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाएगा औऱ पैसे भी वापस नहीं दिए जाएंगे.
3. टीवी चैनलों को 10 साल के लिए लाइसेंस दिया जाएगा जिसमें शर्त ये है कि इस दौरान प्रोग्रामिंमग और एडवर्टाइजिंग कोड का अगर कोई पांच बार उल्लंघन करता है तो उसे दोबारा लाइसेंस नहीं दिया जाएगा.
न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति दर्ज की है. बीईए का कहना है कि दुनिया के हर लोकतांत्रिक देश में कंटेंट को लेकर सरकार की कोई भूमिका नहीं होती. भारतीय संविधान साफ तौर पर सरकार को ऐसी किसी भी भूमिका को लेने से रोकता है. सरकार अपने नए नियमों से निष्पक्ष इलेक्ट्रानिक मीडिया को एक परोक्ष संदेश देकर धमका रही है कि अगर नियमों का उल्लंघन किया तो प्रसारण की इजाजत वापस ले ली जाएगी. क्या लोकतंत्र में कंटेंट को नौकरशाहों की समझ पर छोड़ा जा सकता है?सरकार के ताजा फैसले को ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन ने इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कहा है कि संविधान में ऐसे सभी प्रावधान पहले से मौजूद हैं जिस पर सरकार चिंता जता रही है.
1. सरकार ने नए न्यूज चैनलों के लिए पूंजी की सीमा तीन करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दी है.
2. सरकार ने नए चैनल का लाइसेंस लेनेवालों पर तय समय में चैनल ना शुरु कर पाने की सूरत में दो करोड़ रुपए की बैंक गारंटी की शर्त रखी है. एक साल में चैनल ना शुरु कर पाने की शर्त पूरी ना होने पर लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाएगा औऱ पैसे भी वापस नहीं दिए जाएंगे.
3. टीवी चैनलों को 10 साल के लिए लाइसेंस दिया जाएगा जिसमें शर्त ये है कि इस दौरान प्रोग्रामिंमग और एडवर्टाइजिंग कोड का अगर कोई पांच बार उल्लंघन करता है तो उसे दोबारा लाइसेंस नहीं दिया जाएगा.
न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति दर्ज की है. बीईए का कहना है कि दुनिया के हर लोकतांत्रिक देश में कंटेंट को लेकर सरकार की कोई भूमिका नहीं होती. भारतीय संविधान साफ तौर पर सरकार को ऐसी किसी भी भूमिका को लेने से रोकता है. सरकार अपने नए नियमों से निष्पक्ष इलेक्ट्रानिक मीडिया को एक परोक्ष संदेश देकर धमका रही है कि अगर नियमों का उल्लंघन किया तो प्रसारण की इजाजत वापस ले ली जाएगी. क्या लोकतंत्र में कंटेंट को नौकरशाहों की समझ पर छोड़ा जा सकता है?सरकार के ताजा फैसले को ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन ने इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कहा है कि संविधान में ऐसे सभी प्रावधान पहले से मौजूद हैं जिस पर सरकार चिंता जता रही है.
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