Monday, October 17, 2011

ग्रामीण विकास नीति से प्रदेश का गांव बसताड़ा गांव प्रगति की ओर अग्रसर है।


काम्बोज/अनेजा करनाल 
सरकार की ग्रामीण विकास नीति से प्रदेश के गांव में शहरो जैसा माहौल बन रहा है तथा यहां शहरो जैसी सुविधाएं मिल रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर एक के तट पर बसा हुआ घरौंडा विकास खण्ड का बसताड़ा गांव प्रगति की ओर अग्रसर है। वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल के दौरान इस गांव में करीब 62 करोड़ रूपये की राशि के विकास कार्य पूरे हो चुके हैं तथा कुछ पर काम चल रहा है। लगभग 700 वर्ष पुराना बसताड़ा गांव आज विकास की दृष्टि से जिले के अग्रणी गावों में अपनी पहचान बनाए हुए है। इस गांव में शहर वाली वे सभी सुविधाए यहां के लोगों को राज्य सरकार ने मुहैया करवाई है जिनकी उम्मीद नही थी। यहां के लोगों का जीवन स्तर शहर की तर्ज पर है। गांव की प्रत्येक गली सीमेन्ट वं कंकरीट की बनी है। गांव में पेयजल की समुचित व्यवस्था है। राज्य सरकार की इन्दिरा गांधी पेयजल योजना के लागू होने से अनुसूचित जाति के सैकडों परिवारों को पेयजल सुविधा का लाभ मिला है। इस योजना के तहत इन परिवारों को पानी का कनैक्शन तथा 200 लीटर पानी की टंकी राज्य सरकार ने मुफ्त दी है। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी गांव  में चिकित्सा केन्द्र कार्यरत है। इसके अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं को गांव में ही प्रसव सुविधा के लिए एक डिलीवरी हट कार्यरत है। सम्पूर्ण स्वच्छता की दृष्टि से भी गांव साफ सुथरा है तथा गांव के 99 प्रतिशत से अधिक घरों में निजि शौचालय बने हुए है। इसके अतिरिक्त शेष बचे घरों में भी शौचालय बनवाने के लिए पंचायत प्रयासरत है। 
  गांव के सरपंच राजेन्द्र सिंह ने एक बातचीत में कहा कि राज्य सरकार आज हर क्षेत्र में अच्छे कार्य कर रही है। महिलाओं के मान-सम्मान के लिए तो वर्तमान सरकार ने विशेष कदम उठाए हैं। उन्होंने गांव में हुए विकास कार्यो का जिक्र करते हुए बताया कि उनके कार्यकाल में करोड़ो रूपए के विकास कार्य गांव में हो चुके हैं जिनमें लगभग 90 लाख रूपए की राशि से कंकरीट की गलियां, साढ़े 20 लाख रूपए की राशि से पीने के पानी के लिये गांव में दो टयूबवैल, लगभग पांच लाख रूपए की लागत से गन्दे पानी की निकासी के लिए नाले का निर्माण, साढ़े चार लाख रूपए की राशि से पीने के पानी के लिए गांव में छोटे टयूबवैल, 3 लाख रूपये खर्च करके गांव में बाल्मीकि चौपाल बनाई गई। उन्होंने कहा कि बच्चों के खेलने के लिए सरकार द्वारा करीब 45 लाख रूपये की लागत से 6 एकड़ जमीन में खेल स्टेडियम बनाया गया। उन्होंने बताया कि गांव में करीब 1 लाख 50 हजार की लागत से शमशान घाट की चार दिवारी बनाई गई तथा नरेगा स्कीम के तहत 2 लाख रूपये की लागत से जोहड़ की खुदाई की गई व गांव में नये प्लाटों में गली बनाने के लिये 2 लाख रूपये की मिट्टी डलवाई गई। उन्होंने बताया कि गांव में आंगनवाड़ी केन्द्र की बिल्डिंग बनाने पर एक लाख 50 हजार, स्कूल में रसोई बनाने पर 53 हजार, दोनो स्कूलों की चार दिवारी करने पर करीब एक लाख रूपये तथा गांव में महिला चोपाल जिसपर निर्माण कार्य चल रहा है 3 लाख रूपये खर्च किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि गांव में 16 एकड़ जमीन पर 220 के.वी का पावर हाऊस बनकर तैयार हो गया है। जिस पर करीब 60 करोड़ रूपये खर्च आया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार ने गांव में इतने विकास कार्य करवाएं इससे पहले इतने विकास कार्यों के लिये ग्रांट किसी भी सरकार ने नहीं भेजी परन्तु अब भी गांव में कुछ काम ऐसे है जो होने है जिसमें गांव में पानी की निकासी विशेष रूप से है। उन्होंने बताया कि गांव में 6 वर्ष से 14 वर्ष की आयु का कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर नहीं हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षा क्षेत्र में गांव की अग्रणीय भूमिका है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गांव में स्वंय सहायता समूह बनवाए गए है। उन्होंने कहा कि यह गांव खेलों के मामले में भी प्रदेश में काफी प्रसिद्ध है।

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