भिवानी ,ब्यूरो
आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे जाटों के आदोलन के चलते आम लोगों की परेशानी निरंतर बढ़ती जा रही है। भिवानी-हिसार मार्ग पर 17वें दिन भी रेलों का आवागमन ठप रहा। भिवानी-रोहतक व भिवानी रेवाड़ी रेल मार्ग बंद होने के कारण स्टेशन पर सन्नाटा पसरा है। अब तो स्थिति यह बन गई है कि भिवानी स्टेशन पर साइकिल स्टैंड चलाने वाले ठेकेदार की हालत भी खराब हो गई है। पिछले एक पखवाड़े से स्टैंड पर कोई साइकिल व अन्य वाहन नहीं आया। महीना खत्म होते ही उसे रेलवे को 30 हजार की राशि अदा करनी है। इसी प्रकार स्टेशन पर पकौड़े, रेवड़ी, सब्जी-पूरी व फल की रेहड़ियां लगाने वाले व कैंटीन के माध्यम से परिवार का पालन करने वाले श्रमिकों की स्थिति खराब होती जा रही है। पिछले 15 दिनों से उनका रोजगार ठप पड़ा है। भिवानी-रोहतक मार्ग पर गांव बामला के करीब आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलनकारियों का धरना बदस्तूर जारी है। भिवानी-रेवाड़ी मार्ग पर भी आरक्षण समर्थक ट्रैक पर जमे हुए हैं। ज्यों-ज्यों दिनों की गिनती बढ़ रही है, त्यों-त्यों रेलवे के राजस्व की हानि भी बढ़ती जा रही है। भिवानी-रेवाड़ी के बीच यात्रा करने वाले अनूप सिंह, नरेश कुमार, सतीश कुमार, सतेन्द्र सैनी, अविनाश आदि का कहना है कि रेल यातायात बंद होने से उन्हें खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। रेवाड़ी से भिवानी सड़क मार्ग सीधा नहीं है। उन्हें न केवल समय अधिक खराब करना पड़ रहा है, बल्कि रेवाड़ी पहुंचने के लिए सीधे साधन भी नहीं मिल रहे। उनका कहना है कि लोकतंत्र में हर एक को अपनी समस्याएं रखने का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दूसरे के अधिकारों का हनन किया जाए। जाट समुदाय अपनी मांग को लेकर संघर्ष कर रहा है, लेकिन अन्य 35 बिरादरी के लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। यह कार्य पूर्ण रूप से अनैतिक है। रेलों का आवागमन बंद होने के कारण माल ढुलाई का कार्य रूक गया है और अनेक कारखानों की मशीन भी थम गई है। इससे इन कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों की रोटी रोजी पर भी सवालिया निशान लग गया है।
संदेश मिलने के बाद स्टाफ हुआ मुस्तैद
बीकानेर रेल मंडल मुख्यालय से भिवानी जंक्शन पर बृहस्पतिवार दोपहर बाद संदेश आया कि वे विभिन्न दिशाओं में दौड़ने वाली रेल गाड़ियों के स्टाफ को मुस्तैद रखे। रेलों का आवागमन किसी भी समय शुरू हो सकता है। जैसे संदेश आया भिवानी जंक्शन के स्टेशन अधीक्षक आरपी शर्मा ने पूरी मशीनरी को सतर्क कर दिया। लेकिन रेल चलने के इंतजार में शाम हो गई। किसी भी मार्ग से यह संदेश नहीं आया कि उसे आवागमन के लिए खोल दिया गया है।
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