Monday, March 21, 2011

कोर्ट के आदेश पर कालेज के चेयरमैन ,सचिव,पूर्व सचिव व पूर्व प्रिंसिपल के खिलाफ मामला दर्ज

युमनानगर कुलदीप सैनी 
कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने जयप्रकाश मुकंदलाल इंजीनीयरिंग एवं तकनीकी संस्थान (जेएमआइटी) रादौर के चेयरमैन, सचिव, पूर्व सचिव व पूर्व प्रिंसिपल के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन पर षड्यंत्र के तहत फर्जी दस्तावेज तैयार कर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से नए कोर्स शुरू करने की मान्यता हासिल करने का आरोप लगाया गया है।
छोटाबास गाव निवासी दिलबाग सिंह ने न्यायालय को दी शिकायत में बताया कि वर्ष 2004-05 में जेएमआइटी इंजीनीयरिंग संस्थान छोटाबास के चेयरमैन सेठ अशोक कुमार, पूर्व सचिव डॉ. केएल जौहर, मौजूदा सचिव डॉ. रमेश कुमार शर्मा व पूर्व पि्रंसिपल डॉ. जेके शर्मा ने कॉलेज को नए पाठ्यक्रम दिलवाने के लिए कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में आवेदन किया था। नए पाठ्यक्रम हासिल करने के लिए कालेज प्रबंधन को भूमि की आवश्यकता थी। दिलबाग के अनुसार संस्थान प्रबंधन ने जरूरी भूमि जुटाने के लिए उसकी कॉलेज के साथ लगती लगभग 12 एकड़ भूमि के फर्जी दस्तावेज तैयार किए, जिसकी उसे भनक तक नहीं लगी। फर्जी दस्तावेजों के सहारे संस्थान ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से नए पाठ्यक्रम हासिल कर लिए।
दिलबाग ने बताया कि इस बारे में जानकारी मिलने पर उसने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से संपर्क किया और सूचना का अधिकार के तहत आवेदन के लिए भेजे गए दस्तावेज हासिल किए। इनमें उसने पाया कि जेएमआइटी प्रबंधन ने नए पाठ्यक्रम हासिल करने के लिए उस (दिलबाग) की भूमि को अपनी भूमि बताकर कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी व उसके साथ धोखाधड़ी की। मामले की छानबीन के बाद अदालत ने रादौर पुलिस को संस्थान के चैयरमेन अशोक कुमार, सचिव रमेश कुमार, पूर्व सचिव केएल जौहर व पूर्व प्रिंसिपल जे. के. शर्मा के खिलाफ षड्यंत्र रचने व फर्जी दस्तावेज तैयार करने  सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। थाना रादौर के प्रभारी हरविंद्र सिंह लालर ने बताया कि पुलिस ने कोर्ट के आदेशानुसार धोखाधड़ी का सोमवार  को  मामला दर्ज कर लिया है।
शिकायत झूठी : डॉ. रमेश
इस संबंध में संपर्क करने पर जेएमआइटी के सचिव डा. रमेश ने बताया कि संस्थान पदाधिकारियों के खिलाफ अदालत में की गई शिकायत झूठ पर आधारित है। जिस जमीन की बात दिलबाग सिंह ने अपनी शिकायत में की है, उस पर अभी भी वही काश्त कर रहे हैं और उन्ही के नाम पर जमीन की जमाबंदी व गिरदावरी है। उन्होंने कहा कि दिलबाग ने अपनी काफी जमीन संस्थान को बेची है। जिस जमीन के टुकड़े की बात दिलबाग सिंह कर रहे हैं, वह पटवारी द्वारा बनाए गए सिजरे पर आधारित है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पास जमा करवाए पूरे दस्तावेजों को दिलबाग ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है। उन्होंने कहा कि पुलिस और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय पूरे मामले की जांच अपने स्तर पर करवा चुके हैं और इनमें संस्थान बेदाग निकला है।

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