करनाल, ब्यूरो
हर इंसान ताजगी के लिए नहाने की तरफ दौड़ता है। शहर के लोग बाथरूम में तो ग्रामीण ट्यूबवेल पर स्नान कर गर्मी से निजात पाते हैं। कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो गर्मी से बचने के लिए नहरों में छलांग लगा लेते हैं। नहर में नहाने में यह लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। जिले से लगती नहरों में नहाते समय हर साल कई युवक पानी के बहाव में बह जाते हैं। लापरवाही के चक्कर में यह युवक मां-बाप को उम्र भर का गम दे जाते हैं। नहरों से घिरे इस शहर के आसपास कई ऐसे ठिकाने हैं, जहां युवक गर्मी में नहर में डुबकी लगाते हर समय मिल जाएंगे। पश्चिमी यमुना नहर के काछवा पुल, कैथल पुल, आवर्धन नहर पर शुगर मिल के समीप स्थित पुल, पक्का पुल मधुबन और नेवल गांव स्थित पुल पर युवकों ने नहरों में स्नान के बढि़या स्थान बना लिए हैं। उनके अलावा गांवों में भी बच्चों को नहरों में छलांग लगाते देखा जा सकता है। पश्चिम यमुना नहर पर भगवान सूर्य मंदिर के समीप स्नान के लिए घाट बनाया हुआ है, लेकिन इसके सिवाय कहीं और घाट नहीं बनाए गए हैं।
पिछले वर्ष नहरों में नहाते समय करीब छह युवकों की मौत हो गई थी। यह सिलसिला वर्षो से चल रहा है। इसके पीछे नहरी विभाग या प्रशासन को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि हर स्थान नहर में नहाने से रोकने के लिए पुलिस प्रशासन की पहुंच होना संभव नहीं है। पिछले साल पश्चिम यमुना नहर में छात्रों के डूबने की घटना से सबक लेते हुए जिला प्रशासन ने नहरों में नहाने पर पाबंदी लगा दी थी। नहर में नहाने पर धारा 144 लगाते हुए कई जगह पुलिस का पहरा भी लगाया गया था, किंतु इसका युवाओं पर ज्यादा असर दिखाई नहीं दिया।
अब चूंकि गर्मी का मौसम आ गया है, इसलिए ऐसे में युवकों का नहरों में छलांग लगाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। ऐसे युवा जो तैरना भी नहीं जानते वह भी नहर के ठंडे पानी में नहाने का प्रयास करते हैं। नेवल गांव के सरपंच पिंटू नायक का कहना है कि बच्चों को समझाना मां-बाप की जिम्मेदारी बनती है। नहरों में पानी का तेज बहाव होने के चलते नहाना उचित नहीं है। इसके लिए सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि वह इस बार अपने गांव में पुल पर पहरा लगाएंगे और नहर में गोता लगाने वाले युवकों की खबर ली जाएगी।
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