Thursday, March 24, 2011

किशोरी की खरीद-फरोख्त करनाल में एक और मामला

  एक और किशोरी की खरीद-फरोख्त का मामला सुर्खियों में आया है। नौ महीने पहले नौकरी के नाम पर बेच दिए जाने के बाद किशोरी का मिलाप प्रवासी सुरक्षा वाहिनी संस्था के माध्यम से परिजनों से हुआ। उसने अपने दुख की कहानी जाहिर की तो साफ हो गया कि मानव खरीद-फरोख्त की काली दुनिया जिंदगियों से खेल रही है। पिछले साल 15 अगस्त को सेक्टर आठ में लावारिश हाल में मिली किशोरी
लोकी को कुछ महिलाओं ने एमडीडी बाल भवन तक पहुंचाया। वह असम के जिले उदनगुड़ी थाना माजबाड़ व गांव बायपुरवरी की रहने वाली है।
करीब नौ महीने पहले उसे लीली नामक एजेंट अपने साथ गुवाहाटी ले गई। यहां उसे कुछ महीने रखने के बाद उसे दिल्ली के पंजाबी बाग क्षेत्र की एक प्लेसमेंट एजेंसी को भेज दिया गया। यहां से उसे करनाल के सेक्टर आठ में भेजा गया। यहां उत्पीड़न झेलने के बाद घर से भाग गई। संदिग्ध परिस्थितियों में देखकर उससे कुछ महिलाओं ने बातचीत की और उसे एमडीडी बाल भवन तक पहुंचाया गया। हिंदी को सही ढंग से नहीं समझ पाने की वजह से यह किशोरी अपनी बात किसी को नहीं समझा पाई। भवन प्रबंधन और प्रवासी सुरक्षा वाहिनी के संयुक्त प्रयासों से उसके घर तक संपर्क किया गया। परिजनों को जब पता चला कि उनकी लाडली करनाल में है तो वह असम से उन्हें लेने के लिए आ गए।
एमडीडी बाल भवन में किशोरी लोकी ने जैसे ही अपनी मां रुकमणी गौर व भाई राजेश गौर को देखा तो वह रुआंसा हो गई तो परिजनों की आंखें भी छलक आई। प्रवासी सुरक्षा वाहिनी के अध्यक्ष राज सिंह चौधरी ने कहा कि यह परिवार एक या दो दिन बाद असम के लिए रवाना होगा। इस मामले से फिर उजागर हुआ कि खरीद-फरोख्त के धंधे पर लगाम कसने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। 
विजय कम्बोज करनाल

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