करनाल(विजय कम्बोज )
शिक्षा का अधिकार भारत देश के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकता है बशर्ते
इसे पूरी तरह से लागू किया जाये| यह अधिकार हर भारतीय की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित कर सकता है| ये कहना है करनाल जिले की उपायुक्त नीलम प्रदीप कासनी का| वे करनाल के पंचायत भवन में आयोजित मौलिक शिक्षा का अधिकार कानून 2009 की कार्यशाला में बोल रही थी|उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लागू किया गया यह अधिकार देश के उज्जवल भविष्य को नयी दिशा देगा| इसके अंतर्गत देश के सभी 6 से 14 साल तक के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है|यहाँ तक कि हर बच्चे की शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करने का प्रावधान भी इस अधिकार के अंतर्गत किया गया है| लेकिन इसके लिए जरूरी है कि देश भर में स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों का सर्वे किया जाए ताकि शिक्षा से वंचित बच्चों कि सही पहचान हो सके| उन्होंने बताया कि इस कानून के अंतर्गत इन बच्चों को फीस के साथ साथ किताबें,वर्दी ,बैग ,जूते,जुराबें तथा दूसरी पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जाती है|बच्चे कि आयु और रूचि के मुताबिक कक्षा में दाखिला दिया जाता है|6 से 8वीं कक्षा तक के बच्चों को तीन किलोमीटर कि परिधि में स्कूल उपलब्ध करने का भी इस कानून में प्रावधान है| उन्होंने कहा कि इस कानून के अंतर्गत निजी स्कूल बच्चों के दाखिले के समय अभिभावकों का साक्षात्कार नहीं ले सकते|अब तो इस कानून के अंतर्गत यह प्रावधान कर दिया गया है कि आठवीं तक कि कक्षाओं में अब परीक्षा नहीं ली जाएगी|उन्होंने बताया कि इस कानून में विकलांग और जरूरतमंद बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं|निदेशालय के परियोजना कोओरडीनेटर प्रमोद कुमार ने उपस्थित शिक्षकों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम बारे विस्तार से बताया और उनके द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब दिया|उन्होंने कहा कि शिक्षकों कि जिम्मेवारी है कि वे अपने कत्व्यों को समझे और बच्चों से पूरा सहयोग करें|इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी सरिता भंडारी,जिला बल कल्याण अधिकारी अमर नाथ नरवाल, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी उदय प्रताप सिंह,प्राध्यापक डॉ. अशोक भाटिया,डॉ. बाल किशन कौशिक, ओ.पी कादियान सभी खंड एवं शिक्षा अधिकारी और विभिन स्कूलों के प्रधानाचार्य उपस्थित रहे|
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