रादौर,10मई-कुलदीप सैनी
-मनरेगा योजना से भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है। अफसरशाही को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस अधिकारी के विरूद्ध रिश्वतखोरी के नाम पर विकास कार्यों में बाधा पहुंचाए जाने का मामला प्रकाश में आएगा उस अधिकारी के साथ पूरी सख्ती से पेश आया जाएगा। यह शब्द मुख्य संसदीय सचिव(विकास एंव पंचायत कृषि विभाग) धर्मबीर सिंह ने कहे। धर्मबीर सिंह मंगलवार को रादौर में जिला स्तरीय पंचायत सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर एडीसी गीता भारती भी विशेष रूप से उपस्थित थी। सम्मेलन को संबोधित करने के बाद धर्मबीर सिंह प्रदेश कांग्रेस कमेटी संगठन सचिव सुरेश ढांडा की माता के निधन पर शोक व्यक्त करने गांव कण्ड्ररौली भी गए। धर्मबीर सिंह ने पंचो सरंपचों की समस्याओं को भी सुना और अधिकारियों को उन समस्याओं को जल्द समाधान करने का निर्देश भी दिया।
धर्मबीर सिंह ने कहा कि अकेले महानगरों व शहरों का विकास कर देश का विकास नहीं किया जा सकता। इसलिए गांव का विकास किया जाना अति आवश्यक है। गांव के विकास के ही हम उस देश का निर्माण कर पाएगें जिस देश का सपना हम पिछले 60 वर्षो से देखते आ रहे है। पंचायत के प्रतिनिधि गांव के हर घर-घर की समस्या कों प्रमुखता से उठाए। क्योंकि पंच सरपंच ही वह व्यक्ति हो जो हर समस्या को ठीक प्रकार से समझ कर प्रमुखता से उठा सकता है। मनरेगा योजना एक ऐसी योजना है जो भ्रष्टाचार को समाप्त करने में भी सहायक सिद्ध हो रही है। इस योजना को सही प्रकार से समझ कर गांव के विकास को गति दी जा सकती है। लेकिन इससे पहले इस योजना को सही प्रकार से समझना बेहद जरूरी है। मनरेगा योजना के तहत कूड़ा कर्कट की सफाई से लेकर यमुना के नजदीक लगते गांव बाढ़ राहत कार्यों पर भी पैसा खर्च कर सकते है। उन्होंने कहा कि पैसे का सही इस्तेमाल हो और गांव के विकास की महत्वपूर्ण मांगे उठाई जा सके इसके लिए ग्राम पंचायत अपने तौर पर एक ग्राम सहायक भी नियुक्त कर सकती है। मनरेगा योजना के तहत विकास के साथ रोजगार की समस्या का भी समाधान होता है। गांव का जो व्यक्ति पंचायत को रोजगार के लिए अर्जी देता है। उसे अर्जी देने के 15 दिन के भीतर मनरेगा योजना के तहत रोजगार मुहैया करवाना अनिवार्य है। धर्मबीर सिंह कहा कि बीपीएल कार्ड धारकों को लेकर भी कई प्रकार की समस्याएं आ रही है। बीपीएल कार्ड धारकों के लिए जो कार्य किए जाने चाहिए वे कार्य नहीं हो रहे है। बीपीएल कार्ड धारक वे कार्य करने से मना कर देते है। लेकिन अब बीपीएल सर्वे जल्द ही होना है। ऐसे कार्ड धारकों के कार्ड भी काट दिए जाएगें। क्योंकि इनसे विकास में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने गांव की पंचायतों को निर्देश भी दिए कि अगर अधिकारी उनके कार्य करने में बाधा उत्पन्न करते है तो वे इसकी शिकायत उन्हें सीधे तौर पर कर सकते है। जिसके बाद सबंधित अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। धर्मबीर सिंह ने किसानों को परपंरागत खेती से ध्यान हटाकर सब्जियां व बागवानी की खेती करने की भी सलाह दी। ताकि प्रदेश का किसान उन्नत हो सके। इस अवसर पर एडीसी गीता भारती,डीडीपीओं धर्मबीर सिंह, जिला लोकसंपर्क अधिकारी हजारी लाल, जिला परिषद चेयरमैन रीना रानी, ब्लॉक समिति उपाध्यक्ष महिन्द्रपाल टीना, जिला परिषद सदस्य शिवकुमार संधाला, कांग्रेसी नेता सचिन गुप्ता, बलिन्द्रपाल ढांडा, सतीश रादौरी, रणदीप ढांडा, बीडीपीओं कंवरभान नरवाल, पंचायत अधिकारी अंग्रेजसिंह मोर, पंचायत सचिव बाबूराम, रोशनलाल सैनी इंस्पैक्टर खाद्य पूर्ति विभाग, दिनेश कुमार एसडीओं जलापूर्ति विभाग, संजय राणा सरंपच उन्हेंडी, गुरनाम फतेहगढ़, बलजीत सैनी घेसपूर, सुनील बरहेडी, ईंश्वरसिंह सांगीपूर, जगदीश मेहता, रामगोपाल जठलाना, बालकिशन रादौर, मनोज गुमथला, सुभाष खेडक़ी ब्राह्मण, कुलदीप सैनी पूर्णगढ, शराफत अली मोहड़ी आदि उपस्थित थे।
रादौर,10मई-
रादौर में सम्पन्न हुए जिला स्तरीय पंचायत सम्मेलन पर अव्यवस्थाएं पूरी तरह से हावी रही। हालांकि अधिकारियों से सम्मेलन को सफल बनाने का हर भरसक प्रयास किया था लेकिन परिणाम उनकी आशाओं के बिल्कुल अनुरूप नहीं निकलें। जिला स्तरीय इस कार्यक्रम में महिलाएं प्रतिनिधि केवल नाममात्र की ही थी। मंत्री जी के लगभग डेढ घंटा देरी से पहुंचने से शुरू हुआ कार्यक्रम अव्यवस्थाओं के बीच सम्पन्न हो गया। सम्मेलन में अधिकारियों को पंचायत मंत्री की लताड़ का भी सामना करना पड़ा।
विपक्षी पार्टियों के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने दूरी बनाना ही उचित समझा-कार्यक्रम में विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद तो थे। लेकिन केवल नामचारे के ही। सभी नेता व कार्यकर्ता मंत्री जी से दूरी बनाते ही देखे गए। उनके दूरी बनाए जाने का प्रमाण उस समय मिल गया जब बीडीपीओं रादौर ने कुछ पंचायत प्रतिनिधियों से मंत्री जी का स्वागत करने का आग्रह किया। लेकिन वे बीडीपीओं की बात को टालते नजर आए। बार बार आग्रह करने के बाद ही कुछ पंचायत मंत्री का स्वागत करने के लिए गए।
अफसरों को लगाई सम्मेलन में लताड़-संसदीय सचिव व पंचायत मंत्री धर्मबीर सिंह ने उस समय अधिकारियों को खूब लताड़ लगाई जब गांव बैंडी के सरपंच ने अधिकारियों के कार्यो की शिकायत उनके समक्ष रखी। गांव बैंडी के सरंपच ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर खूब सवालियां निशान लगाए। जिस पर धर्मबीर सिंह ने रिश्वतखोरी की खामियों को स्वीकार भी किया। उन्होंने माना कि अधिकारी बिना कमीशन खाएं कार्य नहीं करते। जिससे विकास कार्यो में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों से ऐसे अधिकारियों की खुल तौर पर शिकायत करने की अपील की। धर्मबीर सिंह ने साफ कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
महिलाओं की संख्या रही कम-जिला स्तरीय इस पंचायत सम्मेलन में जिले के 6 ब्लॉकों के प्रतिनिधियों ने भाग लेना था। जिसमें से महिला प्रतिनिध कार्यक्रम में बहुत कम संख्या में देखे गई। मात्र कुछ महिला प्रतिनिध ही सम्मलेन में नजर आई। बाकी के स्थान पर उनके पति या अन्य ही कार्यक्रम में पहुंचे। जिस कारण सम्मेलन में महिला प्रतिनिधियों की संख्या कम रही।
समस्याएं लेकर मंच पर चढ़े प्रतिनिधि-सम्मेलन में पहुंचे प्रतिनिधियों से शुरू से ही मंत्री जी तक अपनी समस्याएं पहुचांने का ही ध्यान दिया। हर कोई अपनी अपनी समस्या को किसी प्रकार से उनके समक्ष पहुंचाना चाहता था। शुरूआत में तो अधिकारियों से उन्हें मंच तक जाने से रोके रखा। लेकिन बाद में अधिकारी भी उन्हें नहीं रोक पाए। जिस कारण वे अपनी समस्याएं लेकर मंच पर ही पहुंच गए। जिससे सम्मेलन में अफरा तफरी मच गई।
सम्मेलन का बैनर भी रहा गायब-अधिकारियों पर सम्मेलन को सफल बनाने का कितना दबाव था उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अधिकारी सम्मेलन का बैनर बनवाना ही भूल गए। जबकि सम्मेलन जिला स्तर का था।
अव्यवस्थाएं व समय की कमी ने भी बिगाड़ा सम्मेलन का जायका-समय की कमी व अव्यवस्थाएं भी सम्मेलन पर भारी पड़ती नजर आई। सम्मेलन पंचायत मंत्री धर्मबीर सिंह के निर्धारित समय से डेढ घंटा देरी से आने से शुरू हुआ जिस कारण सम्मेलन में समय की कमी बनी रही। समय की कमी के कारण ही सम्मेलन को संबोधित कर रहे एक सेवानिवृत प्रिसींपल को बीच में ही संबोधन करने से रोक दिया गया। वहीं जब सम्मेलन को पंचायत मंत्री संबोधित कर रहे थे तो प्रतिनिधियों के लिए बनाया गया खाने का सामान बांटा जाने लगा। जिस पर मंत्री जी ने खुद इसे बांटने से मना कर दिया। क्योंकि इसके कारण सम्मलेन में पहुंचे प्रतिनिधियों का ध्यान उनके भाषण से हट गया था।
-मनरेगा योजना से भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है। अफसरशाही को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस अधिकारी के विरूद्ध रिश्वतखोरी के नाम पर विकास कार्यों में बाधा पहुंचाए जाने का मामला प्रकाश में आएगा उस अधिकारी के साथ पूरी सख्ती से पेश आया जाएगा। यह शब्द मुख्य संसदीय सचिव(विकास एंव पंचायत कृषि विभाग) धर्मबीर सिंह ने कहे। धर्मबीर सिंह मंगलवार को रादौर में जिला स्तरीय पंचायत सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर एडीसी गीता भारती भी विशेष रूप से उपस्थित थी। सम्मेलन को संबोधित करने के बाद धर्मबीर सिंह प्रदेश कांग्रेस कमेटी संगठन सचिव सुरेश ढांडा की माता के निधन पर शोक व्यक्त करने गांव कण्ड्ररौली भी गए। धर्मबीर सिंह ने पंचो सरंपचों की समस्याओं को भी सुना और अधिकारियों को उन समस्याओं को जल्द समाधान करने का निर्देश भी दिया।
धर्मबीर सिंह ने कहा कि अकेले महानगरों व शहरों का विकास कर देश का विकास नहीं किया जा सकता। इसलिए गांव का विकास किया जाना अति आवश्यक है। गांव के विकास के ही हम उस देश का निर्माण कर पाएगें जिस देश का सपना हम पिछले 60 वर्षो से देखते आ रहे है। पंचायत के प्रतिनिधि गांव के हर घर-घर की समस्या कों प्रमुखता से उठाए। क्योंकि पंच सरपंच ही वह व्यक्ति हो जो हर समस्या को ठीक प्रकार से समझ कर प्रमुखता से उठा सकता है। मनरेगा योजना एक ऐसी योजना है जो भ्रष्टाचार को समाप्त करने में भी सहायक सिद्ध हो रही है। इस योजना को सही प्रकार से समझ कर गांव के विकास को गति दी जा सकती है। लेकिन इससे पहले इस योजना को सही प्रकार से समझना बेहद जरूरी है। मनरेगा योजना के तहत कूड़ा कर्कट की सफाई से लेकर यमुना के नजदीक लगते गांव बाढ़ राहत कार्यों पर भी पैसा खर्च कर सकते है। उन्होंने कहा कि पैसे का सही इस्तेमाल हो और गांव के विकास की महत्वपूर्ण मांगे उठाई जा सके इसके लिए ग्राम पंचायत अपने तौर पर एक ग्राम सहायक भी नियुक्त कर सकती है। मनरेगा योजना के तहत विकास के साथ रोजगार की समस्या का भी समाधान होता है। गांव का जो व्यक्ति पंचायत को रोजगार के लिए अर्जी देता है। उसे अर्जी देने के 15 दिन के भीतर मनरेगा योजना के तहत रोजगार मुहैया करवाना अनिवार्य है। धर्मबीर सिंह कहा कि बीपीएल कार्ड धारकों को लेकर भी कई प्रकार की समस्याएं आ रही है। बीपीएल कार्ड धारकों के लिए जो कार्य किए जाने चाहिए वे कार्य नहीं हो रहे है। बीपीएल कार्ड धारक वे कार्य करने से मना कर देते है। लेकिन अब बीपीएल सर्वे जल्द ही होना है। ऐसे कार्ड धारकों के कार्ड भी काट दिए जाएगें। क्योंकि इनसे विकास में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने गांव की पंचायतों को निर्देश भी दिए कि अगर अधिकारी उनके कार्य करने में बाधा उत्पन्न करते है तो वे इसकी शिकायत उन्हें सीधे तौर पर कर सकते है। जिसके बाद सबंधित अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। धर्मबीर सिंह ने किसानों को परपंरागत खेती से ध्यान हटाकर सब्जियां व बागवानी की खेती करने की भी सलाह दी। ताकि प्रदेश का किसान उन्नत हो सके। इस अवसर पर एडीसी गीता भारती,डीडीपीओं धर्मबीर सिंह, जिला लोकसंपर्क अधिकारी हजारी लाल, जिला परिषद चेयरमैन रीना रानी, ब्लॉक समिति उपाध्यक्ष महिन्द्रपाल टीना, जिला परिषद सदस्य शिवकुमार संधाला, कांग्रेसी नेता सचिन गुप्ता, बलिन्द्रपाल ढांडा, सतीश रादौरी, रणदीप ढांडा, बीडीपीओं कंवरभान नरवाल, पंचायत अधिकारी अंग्रेजसिंह मोर, पंचायत सचिव बाबूराम, रोशनलाल सैनी इंस्पैक्टर खाद्य पूर्ति विभाग, दिनेश कुमार एसडीओं जलापूर्ति विभाग, संजय राणा सरंपच उन्हेंडी, गुरनाम फतेहगढ़, बलजीत सैनी घेसपूर, सुनील बरहेडी, ईंश्वरसिंह सांगीपूर, जगदीश मेहता, रामगोपाल जठलाना, बालकिशन रादौर, मनोज गुमथला, सुभाष खेडक़ी ब्राह्मण, कुलदीप सैनी पूर्णगढ, शराफत अली मोहड़ी आदि उपस्थित थे।
रादौर,10मई-
रादौर में सम्पन्न हुए जिला स्तरीय पंचायत सम्मेलन पर अव्यवस्थाएं पूरी तरह से हावी रही। हालांकि अधिकारियों से सम्मेलन को सफल बनाने का हर भरसक प्रयास किया था लेकिन परिणाम उनकी आशाओं के बिल्कुल अनुरूप नहीं निकलें। जिला स्तरीय इस कार्यक्रम में महिलाएं प्रतिनिधि केवल नाममात्र की ही थी। मंत्री जी के लगभग डेढ घंटा देरी से पहुंचने से शुरू हुआ कार्यक्रम अव्यवस्थाओं के बीच सम्पन्न हो गया। सम्मेलन में अधिकारियों को पंचायत मंत्री की लताड़ का भी सामना करना पड़ा।
विपक्षी पार्टियों के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने दूरी बनाना ही उचित समझा-कार्यक्रम में विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधि मौजूद तो थे। लेकिन केवल नामचारे के ही। सभी नेता व कार्यकर्ता मंत्री जी से दूरी बनाते ही देखे गए। उनके दूरी बनाए जाने का प्रमाण उस समय मिल गया जब बीडीपीओं रादौर ने कुछ पंचायत प्रतिनिधियों से मंत्री जी का स्वागत करने का आग्रह किया। लेकिन वे बीडीपीओं की बात को टालते नजर आए। बार बार आग्रह करने के बाद ही कुछ पंचायत मंत्री का स्वागत करने के लिए गए।
अफसरों को लगाई सम्मेलन में लताड़-संसदीय सचिव व पंचायत मंत्री धर्मबीर सिंह ने उस समय अधिकारियों को खूब लताड़ लगाई जब गांव बैंडी के सरपंच ने अधिकारियों के कार्यो की शिकायत उनके समक्ष रखी। गांव बैंडी के सरंपच ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर खूब सवालियां निशान लगाए। जिस पर धर्मबीर सिंह ने रिश्वतखोरी की खामियों को स्वीकार भी किया। उन्होंने माना कि अधिकारी बिना कमीशन खाएं कार्य नहीं करते। जिससे विकास कार्यो में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों से ऐसे अधिकारियों की खुल तौर पर शिकायत करने की अपील की। धर्मबीर सिंह ने साफ कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
महिलाओं की संख्या रही कम-जिला स्तरीय इस पंचायत सम्मेलन में जिले के 6 ब्लॉकों के प्रतिनिधियों ने भाग लेना था। जिसमें से महिला प्रतिनिध कार्यक्रम में बहुत कम संख्या में देखे गई। मात्र कुछ महिला प्रतिनिध ही सम्मलेन में नजर आई। बाकी के स्थान पर उनके पति या अन्य ही कार्यक्रम में पहुंचे। जिस कारण सम्मेलन में महिला प्रतिनिधियों की संख्या कम रही।
समस्याएं लेकर मंच पर चढ़े प्रतिनिधि-सम्मेलन में पहुंचे प्रतिनिधियों से शुरू से ही मंत्री जी तक अपनी समस्याएं पहुचांने का ही ध्यान दिया। हर कोई अपनी अपनी समस्या को किसी प्रकार से उनके समक्ष पहुंचाना चाहता था। शुरूआत में तो अधिकारियों से उन्हें मंच तक जाने से रोके रखा। लेकिन बाद में अधिकारी भी उन्हें नहीं रोक पाए। जिस कारण वे अपनी समस्याएं लेकर मंच पर ही पहुंच गए। जिससे सम्मेलन में अफरा तफरी मच गई।
सम्मेलन का बैनर भी रहा गायब-अधिकारियों पर सम्मेलन को सफल बनाने का कितना दबाव था उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अधिकारी सम्मेलन का बैनर बनवाना ही भूल गए। जबकि सम्मेलन जिला स्तर का था।
अव्यवस्थाएं व समय की कमी ने भी बिगाड़ा सम्मेलन का जायका-समय की कमी व अव्यवस्थाएं भी सम्मेलन पर भारी पड़ती नजर आई। सम्मेलन पंचायत मंत्री धर्मबीर सिंह के निर्धारित समय से डेढ घंटा देरी से आने से शुरू हुआ जिस कारण सम्मेलन में समय की कमी बनी रही। समय की कमी के कारण ही सम्मेलन को संबोधित कर रहे एक सेवानिवृत प्रिसींपल को बीच में ही संबोधन करने से रोक दिया गया। वहीं जब सम्मेलन को पंचायत मंत्री संबोधित कर रहे थे तो प्रतिनिधियों के लिए बनाया गया खाने का सामान बांटा जाने लगा। जिस पर मंत्री जी ने खुद इसे बांटने से मना कर दिया। क्योंकि इसके कारण सम्मलेन में पहुंचे प्रतिनिधियों का ध्यान उनके भाषण से हट गया था।
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