Thursday, May 26, 2011

वैज्ञानिकों ने दूध की गुणवत्ता बढ़ाने पर मंथन किया


करनाल, विजय काम्बोज
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में सार्क देशों के वैज्ञानिकों के सम्मेलन में इन देशों के बीच पशुपालन की सामान्य विधियों को उकेरते हुए दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पर एक कार्य योजना पर काम करने पर जोर दिया गया। वैज्ञानिकों ने दूध की गुणवत्ता बढ़ाने व मिलावट को दूर करने पर मंथन किया। संस्थान में डेयरी उत्पादकता, गुणवत्ता नियंत्रण व विपणन प्रणाली विषय पर दक्षिण एशियन देशों के समूह सार्क देशों के वैज्ञानिकों के सम्मेलन की शुरुआत गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. वीके तनेजा ने की। उन्होंने कहा कि सार्क देशों में कृषि के साथ पशुपालन का समन्वय आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। भारत और पाकिस्तान में सार्क देशों का 83 प्रतिशत पशुधन पाया जाता है। इन देशों कुल 145 मिलियन टन दूध पैदा होता है। इसमें 73 प्रतिशत दूध भारत और 22 प्रतिशत ऌदूध पाकिस्तान में पैदा होता है, जबकि बाकी पांच प्रतिशत दूध बाकी सार्क देशों में पैदा होता है। उन्होंने कहा कि सार्क देशों में पशुपालन की एक जैसी विधियां है। इसके चलते दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक सरीखी कार्य योजना बनानी चाहिए, ताकि सार्क देशों के पशु पालकों को लाभ पहुंचे। बंग्लादेश के सार्क कृषि केंद्र के निदेशक डॉ. अबुल कलाम आजाद ने कहा कि केंद्र का कार्य कृषि, पशुपालन व मत्स्य पालन में बढ़ोत्तरी करना है। उन्होंने कहा कि हाल ही में उन्होंने धान के उत्पादन के लिए अंतरराष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान से एमओयू भी किया गया है। असम कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा. केएम बजरबरूआ ने कहा कि सार्क देशों में 70 से 80 प्रतिशत तक दूध व दूध पदार्थो की कमी है। इसे लेकर ठोस निर्णय लेने होंगे। ताकि पशुपालन में और बढ़ोत्तरी हो सके। संस्थान के निदेशक डा. एके श्रीवास्तव ने कहा कि सार्क देशों में विश्व कीर 23 प्रतिशत आबादी रहती है। जोकि विश्व की 4.2 प्रतिशत जमीन लिए हुए है। उन्होंने कहा कि गांव से शहरों में पलायन एक समस्या है। पाकिस्तान में 46 प्रतिशत लोग ही ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। जबकि बंग्लादेश में 30 प्रतिशत लोग कुपोषण का शिकार है। पूरे विश्व में केवल दो प्रतिशत व्यापार सार्क देशों के हाथ में है। इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा। भूटान के प्रतिनिधि डा. धान बी राई, नेपाल के प्रतिनिधि डा. बाबी काजी पंटा, बंग्लादेश के प्रतिनिधि डा. एम शमशुद्दीन, पाकिस्तान के प्रतिनिधि डा. हालिम यू हसनैन व श्रीलंका के प्रतिनिधि डा. ए गुणावर्धना ने अपने अनुभव सांझा किए। इस दौरान संस्थान के संयुक्त निदेशक शैक्षणिक डा. जीआर पाटिल, संयुक्त निदेशक शोध डा. एसएल गोस्वामी व डा. दलीप गोसाई मौजूद रहे।

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