रादौर,25मई-कुलदीप सैनी-
स्कूली बच्चें जमीन पर बैठ कर मिडडे मिल का भोजन कर रहे थे। आसपास गंदगी पर मक्ख्यि भिनभिना रही थी। भोजन भी खुले में बनाया जा रहा था। बच्चों के पास बर्तन भी कम थे। जिस कारण बच्चे बर्तन मिलने का इंतजार कर रहे थे। हर दिन इसी दिनचर्या के साथ मिडडे मिल परोसा जाता है। लेकिन अध्यापकों का इस ओर कोई ध्यान नहीं। अध्यापकों व अधिकारियों की लापरवाही का यह दृश्य रादौर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल का था। मीडिया को आता देख सभी अध्यापकों के हाथ पांव फूल गए। कमियों के बारे में पूछे जाने पर अध्यापकों ने विभागीय कमी व समय के अभाव पर सारी जिमेंवारी से पल्ला झाड़ लिया।
जमीन पर बैठ कर भोजन करने पर मजबूर है बच्चें-राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के बच्चें मिडडे मिल का भोजन जमीन पर बैठकर करने पर मजबूर है। बच्चों के बैठने के लिए स्कूल की ओर से न तो एक भी टाट व दरी उपलब्ध करवाई गई है और न ही बच्चों खाने के लिए कोई कमरा या छायादार जगह। जिस कारण बच्चे बाहर जमीन पर धूप में बैठकर ही मिडडे मिल करते है। ऊपर से कोई भी जहरीली वस्तु भोजन में गिरने पर बच्चों के स्वास्थय के साथ खिलवाड़ हो सकता है। लेकिन स्कूल प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
निर्धारित स्थान पर गंदगी का आलम-स्कूल प्रशासन द्वारा बच्चों को मिडडे मिल कराने के लिए जो स्थान निर्धारित किया गया है, वहां पर गंदगी फैली हुई है। जिस कारण आसपास मक्खी मच्छरों की भरमार है। स्कूल प्रशासन ने साफ सफाई की व्यवस्था पर भी ध्यान देना उचित नहीं समझा। मक्ख्यिों मिडडे मिल कर रहे बच्चों के भोजन पर भिनभिनाती रहती है। जिस कारण बच्चों के स्वास्थय पर भी तलवार लटक रही है।
खुले में पकाया जा रहा है मिडडे मिल-स्कूल प्रशासन द्वारा मिडडे मिल को भी खुले में ही तैयार किया जा रहा है। स्कूल प्रशासन द्वारा मिडडे मिल को किसी छत के नीचे पकाए जाने की जहमत नहीं उठाई गई। हालाकि स्कूल के पास मिडडे मिल बनाने की रसोई की ग्रांट भी आ चुकी है। लेकिन रसोई को गर्मी की छुट्टियों में तैयार करवाने की बात कहकर इस जिमेंवारी से भी पल्ला झाड़ लिया जाता है। स्कूल के पास बिल्डिग़ भी बड़ी है। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि बडी बिल्डिग़ में स्कूल प्रशासन को न तो भोजन पकाने के लिए जगह मिल पाई और न ही बच्चों को मिडडे मिल कराने की। लेकिन रसोई का अभाव कभी भी बच्चों के स्वास्थय को खतरें में डाल सकता है।
50 प्लेटों में 820 बच्चें कर रहे है भोजन- स्कूल में पहले छठीं से आठवीं तक के बच्चों के लिए मिडडे मिल बनाया जाता था। लेकिन सरकार की योजना के अनुसार अब 9 से 12 तक की छात्राओं को भी मिडडे मिल दिया जाना शुरू कर दिया गया है। जिस कारण स्कूल में अब मिडडे मिल करने वाले बच्चों की संख्या 820 हो गई है। लेकिन स्कूल के पास प्लेटों की संख्या केवल 50 ही है। जिस कारण बच्चें या तो प्लेटों के इंतजार में बैठे रहते है या फिर घर से अपने नीजि बर्तन लाने पर मजबूर है।
समय की कमी आती है आड़े-इस बारे जब स्कूल के प्राधानाचार्य सतीश भारद्वाज से बात की गई तो उन्हें समय की कमी बच्चों के स्वास्थय व सहलूयित से ज्यादा बड़ी दिखाई दी। उनका कहना था कि उनके पास आधे घंटे का समय होता है। अगर इस आधे घंटे को वे बच्चों को बिठाने में ही लगा दे तो वे बच्चों को मिडडे मिल नहीं करा पायेंगे। साफ सफाई पर भी ध्यान दिया जाएगा।
मामले की होगी उचित जांच-खंड शिक्षा अधिकारी रामेश्वर सैनी ने बताया कि बच्चों को नीचे बिठाकर गंदगी में भोजन करवाने की उचित जांच की जाएगी। उन्होंने माना कि स्कूल में बर्तनों की कमी है। लेकिन इस बारे में विभाग को बता चुके है। जल्द ही बच्चों को प्रर्याप्त बर्तन उपलब्ध करवा दिए जाएगें। खाना पकाने के लिए रसोई की ग्रांट आ चुकी है। जल्द की रसोई का निर्माण भी करवा दिया जाएगा।
No comments:
Post a Comment