करनाल विजय काम्बोज
घटते लिंगानुपात में समानता लाने तथा कन्याभ्रूण हत्या की रोकथाम के लिये उपायुक्त श्रीमती नीलम प्रदीप कासनी की अध्यक्षता में जिला टास्क फोरस कमेटी की बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में कन्याभ्रूण हत्या के कारणों तथा इस बुराई को रोकने के उपायों पर विस्तार से मंथन किया गया। बैठक में उपायुक्त श्रीमती कासनी ने कहा कि कन्याभ्रूण हत्या आज के समय में समाज के सामने एक ज्वलंत मुददे के रूप में मुंह फैलाए खड़ा हुआ है। इस बुराई के कारण लिंगानुपात में काफी असमानता पैदा हो गई है। इस असमानता को मददेनजर रखते हुए कन्याभ्रूण हत्या सामाजिक मुददे के कारणों को जानने के लिये गहन चिन्तन करने की जरूरत है और जो उपाय सामने आते हैं, उन्हें अमल में लाया जाए। उन्होंने कन्याभ्रूण हत्या रोकथाम के लिये बनाए गये कानून पी.एन.डी.टी. एक्ट के क्रियान्वयन पर बल देते हुए कहा कि इस अधिनियम के तहत डाक्टरों या कन्याभ्रूण हत्या करवाने वालों के विरूद्ध न्यायालय में चल रहे मामलों की सिविल सर्जन शीघ्रातिशीघ्र पैरवी करके दोषियों को सजा दिलवाये। उन्होंने चर्चा के दौरान यह बात सुनकर हैरानी प्रकट की कि शहरी क्षेत्र में लड़कियों की संख्या लडक़ों की अपेक्षा निरंतर कम होती जा रही है जबकि शहरी क्षेत्र में शिक्षित, आर्थिक रूप से सम्पन्न एवं एक जागरूक नागरिक निवास करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि कन्याभ्रूण हत्या सामाजिक बुराई के साथ एक जघन्य अपराध भी है इसकी रोकथाम के लिये लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज के समय में लडक़ा व लडक़ी एक समान है। लड़कियां कई क्षेत्रों में लडक़ों से भी बढक़र उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं। इसलिये अभिभावकों को चाहिये कि वे लडक़ा व लडक़ी के भेदभाव को छोडक़र लड़कियों को हर क्षेत्र में आगे बढऩे का सुअवसर प्रदान करें। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि अधिकांश मां-बाप दहेज प्रथा के कारण भी बेटी को बोझ समझते हैं लेकिन समाज का एक जागरूक नागरिक होने के नाते कोई भी व्यक्ति दहेज पर अंकुश लगाकर इस कुरीति को समाज से दूर करने में अपना सहयोग दे सकता है। इस बुराई की रोकथाम के लिये हरियाणा सरकार ने भी हाल ही में यह निर्णय लिया कि कन्याभ्रूण जांच करवाने वाले या करने वाले की यदि कोई व्यक्ति सूचना देता है तो उसे एक लाख रुपये की राशि का नकद ईनाम दिया जायेगा और उसका नाम भी गुप्त रखा जायेगा। उन्होंने सरकार की इस घोषणा का जनता में अधिक से अधिक प्रचार करने पर जोर दिया। बैठक में पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार आर्य ने सुझाव दिया कि बेटी को पराया धन न समझा जाए बल्कि उसे बेटे से भी बढक़र माने। मां-बाप को बेटियों के प्रति अपनी सोच सही रखनी चाहिये तभी इस सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसी प्रकार अतिरिक्त उपायुक्त एम.के. पांडुरंग ने सुझाव दिया कि टास्क फोरस कमेटी इस बुराई को रोकने के लिये एक एक्शन प्लान तैयार करे, किसी गांव को गोद लेकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करे तथा पी.एन.डी.टी. एक्ट को सख्ती से लागू किया जाये। बैठक में असंध के उपमंडलाधीश आर.के. सिंह ने भी सुझाव दिया कि कन्याभ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध के कारणों को बारिकी से समझना होगा और उसे रोकने के लिये उपाय खोजने होंगे। इतना ही नहीं इस बुराई के साथ-साथ समाज में फैली अन्य सामाजिक कुरीतियों की रोकथाम के लिये भी लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा तभी एक सभ्य समाज का निर्माण हो सकता है। जिला टास्क फोरस कमेटी की बैठक में जिला परिषद के अध्यक्ष अंग्रेज सिंह धूमसी ने सुझाव दिया कि आज के समय में मां-बाप दहेज के साथ-साथ लडक़ी की सुरक्षा को लेकर चिन्तित रहते हैं। इस डर को दूर करने के लिये प्रशासन व समाज सेवी संस्थाओं द्वारा लोगों को जागरूक किया जाना चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस बुराई की रोकथाम के लिये जो जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई है उनका व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार होना चाहिये। राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य राधेश्याम शर्मा ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में लडक़े व लड़कियों को कार्यक्रम आयोजित करके उन्हें जागरूक किया जाए और इस प्रकार के कार्यक्रम नियमित रूप से जारी रखी जाये। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे गांव की चौपाल में अधिक से अधिक लोगों को इक्टठा करके इस सामाजिक बुराई के दुष्परिणामों से अवगत कराएं। गांवों में बेटी बचाओं के लिये जागरूकता फिल्में दिखाई जाए।इसी प्रकार राजकीय कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य महावीर नैन ने सुझाव दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कन्याभ्रूण हत्या के कारण हो रहे सामाजिक नुकसान की विस्तार से जानकारी दें और बताएं कि यह न केवल एक बुराई है बल्कि कानून की दृष्टि से अपराध है। बैठक में डाक्टर राजीव गुप्ता ने भी सुझाव दिया कि लोगों को विचारधारा बदलनी होगी इसके लिये समाज सेवी व धार्मिक संस्थाओं को भी आगे आना चाहिये। बैठक में सिविल सर्जन डाक्टर वंदना भाटिया ने उपायुक्त को आश्वासन दिया कि जिला टास्क फोरस कमेटी की बैठक में आए सुझावों अनुसार ही इस सामाजिक बुराई की रोकथाम के लिये कारगर कदम उठाए जायेंगे और भविष्य में घटते लिंगानुपात में समानता लाने का भरसक प्रयास किया जायेगा। बैठक में उप-सिविल सर्जन डाक्टर अनिता अग्रवाल ने प्रोजेक्टर के माध्यम से जिला में घटते लिंगानुपात की ताजा रिपोर्ट के बारे में अवगत कराया। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी रजनी पसरीचा व स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
घटते लिंगानुपात में समानता लाने तथा कन्याभ्रूण हत्या की रोकथाम के लिये उपायुक्त श्रीमती नीलम प्रदीप कासनी की अध्यक्षता में जिला टास्क फोरस कमेटी की बैठक का आयोजन हुआ। बैठक में कन्याभ्रूण हत्या के कारणों तथा इस बुराई को रोकने के उपायों पर विस्तार से मंथन किया गया। बैठक में उपायुक्त श्रीमती कासनी ने कहा कि कन्याभ्रूण हत्या आज के समय में समाज के सामने एक ज्वलंत मुददे के रूप में मुंह फैलाए खड़ा हुआ है। इस बुराई के कारण लिंगानुपात में काफी असमानता पैदा हो गई है। इस असमानता को मददेनजर रखते हुए कन्याभ्रूण हत्या सामाजिक मुददे के कारणों को जानने के लिये गहन चिन्तन करने की जरूरत है और जो उपाय सामने आते हैं, उन्हें अमल में लाया जाए। उन्होंने कन्याभ्रूण हत्या रोकथाम के लिये बनाए गये कानून पी.एन.डी.टी. एक्ट के क्रियान्वयन पर बल देते हुए कहा कि इस अधिनियम के तहत डाक्टरों या कन्याभ्रूण हत्या करवाने वालों के विरूद्ध न्यायालय में चल रहे मामलों की सिविल सर्जन शीघ्रातिशीघ्र पैरवी करके दोषियों को सजा दिलवाये। उन्होंने चर्चा के दौरान यह बात सुनकर हैरानी प्रकट की कि शहरी क्षेत्र में लड़कियों की संख्या लडक़ों की अपेक्षा निरंतर कम होती जा रही है जबकि शहरी क्षेत्र में शिक्षित, आर्थिक रूप से सम्पन्न एवं एक जागरूक नागरिक निवास करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि कन्याभ्रूण हत्या सामाजिक बुराई के साथ एक जघन्य अपराध भी है इसकी रोकथाम के लिये लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज के समय में लडक़ा व लडक़ी एक समान है। लड़कियां कई क्षेत्रों में लडक़ों से भी बढक़र उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं। इसलिये अभिभावकों को चाहिये कि वे लडक़ा व लडक़ी के भेदभाव को छोडक़र लड़कियों को हर क्षेत्र में आगे बढऩे का सुअवसर प्रदान करें। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि अधिकांश मां-बाप दहेज प्रथा के कारण भी बेटी को बोझ समझते हैं लेकिन समाज का एक जागरूक नागरिक होने के नाते कोई भी व्यक्ति दहेज पर अंकुश लगाकर इस कुरीति को समाज से दूर करने में अपना सहयोग दे सकता है। इस बुराई की रोकथाम के लिये हरियाणा सरकार ने भी हाल ही में यह निर्णय लिया कि कन्याभ्रूण जांच करवाने वाले या करने वाले की यदि कोई व्यक्ति सूचना देता है तो उसे एक लाख रुपये की राशि का नकद ईनाम दिया जायेगा और उसका नाम भी गुप्त रखा जायेगा। उन्होंने सरकार की इस घोषणा का जनता में अधिक से अधिक प्रचार करने पर जोर दिया। बैठक में पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार आर्य ने सुझाव दिया कि बेटी को पराया धन न समझा जाए बल्कि उसे बेटे से भी बढक़र माने। मां-बाप को बेटियों के प्रति अपनी सोच सही रखनी चाहिये तभी इस सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसी प्रकार अतिरिक्त उपायुक्त एम.के. पांडुरंग ने सुझाव दिया कि टास्क फोरस कमेटी इस बुराई को रोकने के लिये एक एक्शन प्लान तैयार करे, किसी गांव को गोद लेकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करे तथा पी.एन.डी.टी. एक्ट को सख्ती से लागू किया जाये। बैठक में असंध के उपमंडलाधीश आर.के. सिंह ने भी सुझाव दिया कि कन्याभ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध के कारणों को बारिकी से समझना होगा और उसे रोकने के लिये उपाय खोजने होंगे। इतना ही नहीं इस बुराई के साथ-साथ समाज में फैली अन्य सामाजिक कुरीतियों की रोकथाम के लिये भी लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा तभी एक सभ्य समाज का निर्माण हो सकता है। जिला टास्क फोरस कमेटी की बैठक में जिला परिषद के अध्यक्ष अंग्रेज सिंह धूमसी ने सुझाव दिया कि आज के समय में मां-बाप दहेज के साथ-साथ लडक़ी की सुरक्षा को लेकर चिन्तित रहते हैं। इस डर को दूर करने के लिये प्रशासन व समाज सेवी संस्थाओं द्वारा लोगों को जागरूक किया जाना चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस बुराई की रोकथाम के लिये जो जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई है उनका व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार होना चाहिये। राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य राधेश्याम शर्मा ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में लडक़े व लड़कियों को कार्यक्रम आयोजित करके उन्हें जागरूक किया जाए और इस प्रकार के कार्यक्रम नियमित रूप से जारी रखी जाये। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे गांव की चौपाल में अधिक से अधिक लोगों को इक्टठा करके इस सामाजिक बुराई के दुष्परिणामों से अवगत कराएं। गांवों में बेटी बचाओं के लिये जागरूकता फिल्में दिखाई जाए।इसी प्रकार राजकीय कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य महावीर नैन ने सुझाव दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी कन्याभ्रूण हत्या के कारण हो रहे सामाजिक नुकसान की विस्तार से जानकारी दें और बताएं कि यह न केवल एक बुराई है बल्कि कानून की दृष्टि से अपराध है। बैठक में डाक्टर राजीव गुप्ता ने भी सुझाव दिया कि लोगों को विचारधारा बदलनी होगी इसके लिये समाज सेवी व धार्मिक संस्थाओं को भी आगे आना चाहिये। बैठक में सिविल सर्जन डाक्टर वंदना भाटिया ने उपायुक्त को आश्वासन दिया कि जिला टास्क फोरस कमेटी की बैठक में आए सुझावों अनुसार ही इस सामाजिक बुराई की रोकथाम के लिये कारगर कदम उठाए जायेंगे और भविष्य में घटते लिंगानुपात में समानता लाने का भरसक प्रयास किया जायेगा। बैठक में उप-सिविल सर्जन डाक्टर अनिता अग्रवाल ने प्रोजेक्टर के माध्यम से जिला में घटते लिंगानुपात की ताजा रिपोर्ट के बारे में अवगत कराया। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की परियोजना अधिकारी रजनी पसरीचा व स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
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