Friday, May 27, 2011

सार्क देशों को ट्रेनिंग देगा एनडीआरआइ


करनाल,विजय काम्बोज
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान सार्क देशों को दूध उत्पादन बढ़ाने की तकनीक बताएगा। उनके प्रतिनिधियों को संस्थान में प्रशिक्षण देने के साथ ही उन्हें आधुनिक तकनीकों के बारे में भी बताया जाएगा। इस बात पर सहमती सार्क देशों के वैज्ञानिकों के बीच हुए सम्मेलन में हुई। संस्थान में डेयरी उत्पादकता, गुणवत्ता, नियंत्रण और विपणन प्रणाली पर आयोजित सार्क देशों के वैज्ञानिकों के सम्मेलन में कई प्रस्तावों पर मुहर लगी। सार्क देशों ने दूध की गुणवत्ता को बढ़ाने पर सहमति जाहिर की। इन देशों ने दूध उत्पादन बढ़ाने को लेकर भैंस पालने पर जोर दिया तो साथ ही दूध की गुणवत्ता को बढ़ाने पर अमल करने का आह्वान किया गया। सार्क देशों ने कहा कि गुणात्मक दूध पैदा करने वाले किसानों को लाभांश भी उचित मिलना चाहिए। इसके साथ ही विद्यार्थियों के आदान-प्रदान पर बल दिया गया। एनडीआरआइ के निदेशक डॉ. एके श्रीवास्तव ने कहा कि सार्क देशों में दूध का उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास तेज होंगे। इसके लिए सभी देश प्रतिबद्ध हैं। बांग्लादेश के सार्क कृषि केंद्र के निदेशक डॉ. अबुल कलाम आजाद ने कहा कि यह सम्मेलन दूध उत्पादन की दिशा में सार्थक साबित होगा। सम्मेलन में भूटान के प्रतिनिधि डॉ. धान बी राई, नेपाल के प्रतिनिधि डॉ. बाबी काजी पंटा, बांग्लादेश के प्रतिनिधि डॉ. एम शमशुद्दीन, पाकिस्तान के प्रतिनिधि डॉ. हालिम यू हुसैन और श्रीलंका के प्रतिनिधि डॉ. ए गुणावर्धेन ने इस सम्मेलन को गुणवत्ता और दूध उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में सफल करार दिया। 
इसके साथ भारत ने घोषणा कि है कि हिंदुस्तान सार्क देशों के साथ अपनी क्लोनिंग तकनीक को सांझा नहीं करेगा। बरसों से बनी क्लोन तकनीक से अलग हिंद ने सार्क देशों से यह वायदा किया है कि वह उनके देश में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। भारत तमाम तकनीक सांझा करते हुए सार्क देशों में दूध का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए आगे कदम बढ़ा चुका है। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में डेयरी उत्पादकता, गुणवत्ता, नियंत्रण व विपणन प्रणाली विषय पर आयोजित सार्क देशों के वैज्ञानिकों के सम्मेलन में यह निचोड़ निकल गया कि भारत तमाम तकनीक सार्क देशों से सांझा करने के लिए तैयार है, लेकिन क्लोनिंग तकनीक को किसी को भी नहीं बताई जाएगी। यह जाहिर भी है कि विश्व की पहली क्लोन कटड़ी गरिमा को पैदा करने में एनडीआरआई के वैज्ञानिकों ने बरसों तक काम किया है। इसके बाद यह तकनीक और विकसित होती चली गई। सफलता के सोपान स्थापित करते हुए यह तकनीक अपने आखिरी पड़ाव की ओर है। चूंकि अब विश्व की पहली क्लोन कटड़ी गरिमा गाभिन बनने की ओर है। ऐसे में सार्क देशों के सम्मेलन के बीच में यह सवाल खड़ा था कि आखिर भारत अपनी क्लोन तकनीक को प्रदान करेगा या नहीं, लेकिन सम्मेलन के बाद यह साफ हो गया कि बरसों की मेहनत के बाद यह तकनीक अभी किसी से भी बांटी नहीं जाएगी। सार्क देशों के प्रतिनिधियों में शामिल भूटान के प्रतिनिधि डा. धान बी राई, नेपाल के प्रतिनिधि डा. बाबी काजी पंटा, बांग्लादेश के प्रतिनिधि डा. एम शमशुद्दीन, पाकिस्तान के प्रतिनिधि डा. हालिम यू हुसैन व श्रीलंका के प्रतिनिधि डा. ए गुणावर्धने के सामने यह साफ हो गया कि हिंदुस्तान दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उनके साथ है, लेकिन क्लोनिंग तकनीक कतई नहीं सांझा होगी। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. एके श्रीवास्तव ने कहा कि सार्क देशों के सामने क्लोनिंग तकनीक को लेकर कोई बात नहीं हुई है।

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