इन्द्री विजय काम्बोज
मुख्यमंत्री स्वच्छता प्रोत्साहन पुरस्कार योजना से जहां ग्रामीण क्षेत्र में सफाई को बढ़ावा मिल रहा है वहीं गांवों में प्रोत्साहन के रूप में सरकार द्वारा आर्थिक सहयोग भी दिया जा रहा है। यह योजना गांवों के विकास में काफी सहयोगी साबित हो रही है। मुख्यमंत्री स्वच्छता प्रोत्साहन योजना प्रदेश में 2009-10 में आरम्भ की गई। इस योजना का मुख्य उददेश्य ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत जो ग्राम पंचायतें स्वच्छ रहेंगी उसे खंड स्तर, जिला स्तर व राज्य स्तर पर आर्थिक सहयोग देकर सम्मानित किया जाता है। इससे पहले प्रदेश में इस योजना को राज्य स्वच्छता प्रोत्साहन योजना के नाम से चलाया जा रहा था। यह योजना निर्मल ग्राम पुरस्कार योजना की तर्ज पर चलाई जा रही है। इस योजना में ऐसे गांव को शामिल किया गया है जिस गांव में स्कूलों, आंगनवाडिय़ों में शौचालय, पानी हो और पूर्ण रूप से स्वच्छ हो, गांव में शत-प्रतिशत व्यक्तिगत शौचालय हो कोई भी व्यक्ति खुले में शौच न करता हो तथा गांव का ठोस व तरल कूड़ा-करकट का निपटान ठीक प्रकार से हो तथा इस योजना में ऐसी ग्राम पंचायतें जिसमें बिजली के बिल शत-प्रतिशत भरे हुए हों ऐसी ग्राम पंचायतों के आवेदन को इस योजना के तहत स्वीकार किया जाता है। मुख्यमंत्री स्वच्छता प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के पुरस्कारों को तीन स्तरों में शामिल किया गया है। ब्लाक स्तर पर ऐसी ग्राम पंचायतें जिनकी आबादी शून्य से 1500 के बीच हो उसे 50 हजार रुपये, 1501 से 4000 आबादी वाली ग्राम पंचायतों को 75 हजार रुपये तथा 4000 से ऊपर आबादी वाली ग्राम पंचायतों को एक लाख रुपया पुरस्कार के रूप में दिया जाता है। इसी प्रकार खंड स्तर पर पुरस्कार पाने वाले गांव को जिला स्तर पर पुरस्कार के लिये कमेटी द्वारा चयनित किया जाता है। इस कमेटी के अध्यक्ष जिला परिषद के अध्यक्ष, एक अन्य जिला परिषद का सदस्य, सिविल सर्जन, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी, जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी, जन-स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता व मेम्बर सचिव सी.ई.ओ. जिला परिषद होते हैं। इस कमेटी द्वारा जिला परिषद पर पुरस्कार के लिये चयन किया जाता है। इस पुरस्कार को भी तीन स्तरों में दिया जाता है। पहले स्तर में एक लाख रुपया, दूसरे स्तर में एक लाख 50 हजार रुपये व तीसरे स्तर में 2 लाख रुपये प्रोत्साहन के रूप में दिये जाते हैं। राज्य स्तर पर इस योजना के तहत पहले स्तर में 3 लाख रुपये, दूसरे स्तर पर 5 लाख रुपये व तीसरे स्तर पर 7 लाख रुपये की राशि दी जा रही है।
वर्ष 2010-11 में करनाल खंड के गांव नली खुर्द, भूसली व ऊंचा समाना को जिला स्तर पर प्रथम पुरस्कार दिया गया है। जबकि गांव की स्वच्छता के मामले में यथास्थिति होने पर सरफाबाद माजरा को इस योजना के तहत 75 हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया गया। इस पुरस्कार के लिये खंड स्तर पर 10 जून 2011 तक आवेदन मांगे गये हैं। ऐसे गांव जो सरकार की इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं वे पहले आओ पहले पाओं की नीति का अमल करते हुए अपना आवेदन अपने ब्लाक स्तर पर करें। ब्लाक स्तर पर 31.07.2011 को योग्य गांव का चयन किया जायेगा तथा इस चयन के बाद 15.09.2011 को जिला स्तर के लिये गांव के नाम दिये जायेंगे। ब्लाक स्तर पर इस कमेटी के अध्यक्ष ब्लाक समिति के चेयरमैन, एक ब्लाक समिति के सदस्यों में से मनोनीत सदस्य, दो सरपंच जिनमें एक महिला व एक पुरूष, मेडिकल आफिसर, जन स्वास्थ्य विभाग के उपमंडलाधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी व खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, मेम्बर सचिव होते हैं।
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