Monday, May 16, 2011

भारत को 2018 तक 25 लाख इंजीनियरों की आवश्कता होगी: डॉक्टर कृष्ण गोपाल

 कार्य में सुधार की आवश्यकता होती है
रादौर,16मई- कुलदीप सैनी
हर कार्य में सुधार की आवश्यकता होती है। किसी कार्य को पूरा कर लेने के बाद अगर हम यह मान ले कि यह कार्य पूरी तरह से सही हो गया है तो यह पूर्णत: गलत होता है। इसी सोच के कारण आज हम जापान व चीन जैसे देशों से पीछे रह गए है। अगर हम अपनी सोच को ऐसा बना ले तो वह दिन दूर नहीं जब जापान भी हमारी सोच का अनुशरण करता नजर आएगा। यह शब्द ग्लोबल रिसर्च इंस्टीच्यूट के नवनियुक्त डायरेक्टर डॉक्टर कृष्ण गोपाल ने कहे। डॉक्टर कृष्ण गोपाल सोमवार को इंस्टीच्यूट में नियुक्त किए जाने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
            डॉक्टर कृष्ण गोपाल ने कहा कि यह मानना गलत होगा कि जापान व चीन जैसे देश हमारे देश से आगे है। केवल उनकी सोच हमारी सोच से अलग है। हमारे देश के लोग एक मंजिल पा लेने के बाद रूक जाते है लेकिन उन देशो के लोग आगे की सोच रखकर कार्य करते है। उस मंजिल के बाद उसमें और क्या किया जाए वे इस बारे में सोचने लगते है। जिस कारण वे कुछ ऐसा कर दिखाते है जो उन्हें दूसरो से अलग करता है। सुधार में किस तरह और सुधार किया जाए ऐसी सोच की हमे आवश्कता है। डॉक्टर कृष्ण गोपाल ने कहा कि कोंचिग केवल परीक्षा तक ही सीमित होती है। जो हमें परीक्षा में तो निपुण करवा देती है लेकिन उसके बाद का कार्य वहीं पर रूक जाता है। इसलिए विद्यार्थियों को इस तरह की परीक्षा के लिए तैयारी करनी चाहिए जो उन्हें जीवन प्रर्यन्त सहायता दे। कालेज की बढ़ रही संख्या आज के अनुसार अधिक है। लेकिन आने वाले समय में यह संख्या भी कम लगेगी। भारत को 2018 तक 25 लाख इंजीनियरों की आवश्कता होगी। जिन्हें यह कालेज की पूरा करेगें। आगामी 5-7 सालों में कालेजों की संख्या में संतुलन आ जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत देश के वैज्ञानिकों का पूरी दुनिया में नाम है। जो हमेशा ही आगे रहेगें। ग्लोबल कालेज ऐसे इंजीनियर देश को देगा। क्योंकि इस संस्थान में थयूरी की जगह प्रैक्टिल पर जोर दिया जाता है। ग्लोबल संस्थान के चेयरमैन चौ० मेवाराम ने डॉक्टर कृष्ण गोपाल का संस्थान के साथ जूडऩे पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि डॉक्टर कृष्ण गोपाल ने एक कर्मठ इंजीनियर के तौर पर देश में ख्याति प्राप्त की है। जो एनआईटी कुरूक्षेत्र के डायरेक्टर रह चुके है। डॉक्टर केजी ने इस दौरान एनआईटी के विभिन्न पदों की शोभा बढ़ाई है। इसके अलावा वे यूजीसी, एआईसीटीई, यूपीएससी, एनबीए, डीआरडीओ के अलावा कई विश्वविद्यालयों के पैनल के सदस्य भी रह चुके है। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम भी तैयार किए है। जिसके कारण उन्हें कई अन्र्तराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। अमेरिकन बीबीलियोग्राफिकल संस्थान द्वारा 1995 व 2000 में उन्हें मैन ऑफ द ईयर का पुरस्कार भी दिया गया। चौ० मेवाराम ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के मालिक डॉक्टर केजी का संस्थान से जुडऩे पर न केवल विद्यार्थियों बल्कि संस्थान के समस्त शिक्षकगणों को भी उनके शैक्षिक, रिसर्च एवं प्रासंगिक अनुभव से सीखने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि एक उच्चतमकोटि के विद्वान के आने से न केवल विद्यार्थी, अभिभावकों, संस्थान और प्रांत की भी अपेक्षाएं बढ़ जाती है। डॉक्टर केजी के जुडऩे से संस्थान की ट्रेनिंग एंव प्लेसमेंट कार्यो को भी एक मनोबल मिलेगा।  जिसके लिए संस्थान सदैव कार्यरत है।
 

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