युमनानगर :कुलदीप सैनी
कृषक भारती को-ओप्रेटिव लिमिटेड (कृभको), शीर्यल सिस्टम इनिसियेटिव फोर साउथ एशिया (सीसा) एवं कृषि विज्ञान केन्द्र दामला के संयुक्त तत्वावधान में गाव अलाहर में एक गन्ना फसल विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस समारोह में मुख्यातिथि डॉ.जेसी महला, क्षेत्रीय निदेशक गन्ना अनुसंधान केन्द्र चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय उचानी करनाल ने किसानों को वैज्ञानिकों द्वारा की गई नवीनतम तकनीक अपनाकर लागत खर्च में कमी करने पर बल दिया। उन्होंने किसानों को गन्ने में मिक्स क्रापिंग व बैंड प्लांटिग जैसी आधुनिक तकनीक अपनाने पर बल दिया और कृभको द्वारा आयोजित सेमीनार की भी सराहना की।
कृभको हरियाणा के मुख्य राज्य प्रबंधक नरेन्द्र कुमार भादू द्वारा इस समारोह की अध्यक्षता की गई। उन्होंने किसानों को बताया कि कृभको किसानों के लिए कृषि मेला, कृषि अनाजों की आपूर्ति सहकारिता के माध्यम से करती है।सीसा के प्रबंधक डॉ. बीआर काम्बोज ने किसानों को संसाधन तकनीकों की जानकारी देते हुए बताया कि फसल अवशेषों को जमीन की सतह पर छोड़कर आधुनिक मशीनों में बिजाई करने से पानी की बचत होगी तथा खरपतवारों की समस्या में कमी आएगी। गर्मियों में गेहू पकाव के समय अधिक तापमान से होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है। उन्होंने गेहू की खडी फसल में आखिरी पानी के समय मूंग बिजाई करने के बारे में जानकारी दी।
क्षेत्रीय गन्ना अनुसंधान अधिकारी डॉ. अजमेर सिंह उचानी (करनाल) ने किसानों को गन्ने की उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि गन्ने की पैदावार 500 किवंटल प्रति एकड़ से कम हो रही है और किसानों को गन्ना लगाने में लाभ कम और बिमारियों व कीडों से बचाव और खरपतवार नियंत्रण के तरीकों तथा उत्पादन बढाने की भी जानकारी दी। क्षेत्रीय गन्ना अनुसंधान केन्द्र उचानी के डॉ. विजय अरोड़ा ने कहा कि किसानों को संतुलित खाद का प्रयोग करना चाहिए और फसलों में रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग नहीं करना चाहिए। ए।
कृषि विज्ञान केंद्र दामला के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.नरेन्द्र गोयल ने किसानों को अविकृत पोषक तत्वों के प्रबंधन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि फसलों में गोबर की खाद, कम्पोस्ट व जैविक खादों का ही प्रयोग करे। उन्होंने किसानों को बताया कि रासायनिक खादों के साथ कार्बनिक व आर्गेनिक खादों का प्रयोग भी करना चाहिए। इस विचार गोष्ठी में लगभग 400 किसानों ने भाग लिया।
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