इसमें कोई शक नहीं की भारत की महिलाएं विश्व स्तर पर अपनी पहचान कायम कर रही हैं|हर क्षेत्र की महिलाएं आज देश में कई महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं|इन्ही में से एक वर्ग है महिला सरपंचों का|लेकिन आज भारत में महिला सरपंच का मतलब थोड़ी बहुत पढ़ी लिखी,पति पर सरपंची कामो के लिए निर्भर,पारम्परिक वेशभूषा साड़ी धारण किये साधारण छवि वाली महिला नहीं बल्कि हाई प्रोफाइल,एम् बी ए या स्नातक या स्नातकोतर,ग्रामीण विकास में विश्वास रखने वाली और आत्मनिर्भर महिला है|इसका एक अपवाद है राजस्थान के सोडा गाँव की 30 वर्षीया पेशे से एम् बी ए सरपंच छवि राजावत| देश की इस हाई प्रोफाइल सरपंच ने पुरुषवादी भारतीय समाज की परम्परा को तोड़ एक मुकाम हासिल किया है|यह अपने सरपंची कामों के लिए किसी की आदमी की सहमती की मोहताज़ नहीं है|
हाल ही में देश की इस युवा सरपंच ने संयुक्त राष्ट्र संघ की 11वीं इन्फो पावरटी वर्ल्ड कांफ्रेंस में हिस्सा लिया|24 और 25 मार्च को हुई इस बैठक में गरीबी से लड़ने और विकास जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई| बैठक में जींस-टॉप और कोट पहने इस युवा सरपंच को देखकर किसी को भी ये भरोसा नहीं हुआ कि भारत के एक छोटे से गाँव की सरपंच किसी फ़िल्मी नायिका की तरह फटाफट इंग्लिश बोलने वाली औए इतनी आकर्षक हो सकती है|छवि भारत की सबसे कम आयु की पहली एम् बी ए सरपंच है|छवि ने भारती टेलीवेंचर से प्रबन्धक की नौकरी छोड़ अपने गाँव की सेवा करने का मन बनाया और सरपंच चुनाव लड़ा|
बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुए इस युवा महिला सरपंच ने कहा कि हमे इ=सर्विसेज जैसे नै तकनीक को अपनाना चाहिए ताकि हम मिलेनियम डेवलपमेंट गोल हासिल कर सकें|उन्होंने कहा कि भारत देश की ग्रामीण स्तर महिलायें भी अपनी विशेष पहचान बना सकती हैं जरूरत है तो जागरूकता की,खुद की क्षमता को पहचानने की|भारत को स्वतन्त्रता मिले 65 साल बीत चुके हैं लेकिन जो प्रगति होनी चाहिए थी वह नहीं हो पाई है क्योंकि भारत के गाँव आज भी पिछड़े हुए हैं|जो की बड़े अफ़सोस की बात है|अपने विकास के लिए गाँव वालों को ही आगे आना पड़ेगा,ताभिगास सम्भव होगा|इस दिशा में उठाया गया मेरा यह कदम अगर कारगर सिद्ध हुआ तो मेरे लिए ये बहुत ख़ुशी की बात होगी|
खुशबू(ख़ुशी)इन्द्री
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