Monday, March 28, 2011

जो भीड़ में सबसे बड़ा है, न जाने कितनी लाशों पे खड़ा है।

फरीदाबाद
अदबी संस्था बज्म-ए-नूर ने काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया। काव्य गोष्ठी में कवियों ने शायरी से समां बांधा। इस गोष्ठी में शायरों ने कई रंग बिखेरे। प्रो.एम.पी.सिंह कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। काव्य गोष्ठी के दौरान आसिफ कमाल ने कहा-वही जो भीड़ में सबसे बड़ा है, न जाने कितनी लाशों पे खड़ा है। जवाहर कालोनी स्थित न्यू लाइट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में अवधेश मिश्र ने कहा-गुल मुस्करा रहा था कि तुम याद आ गए, नजरों पे छा रहा था कि तुम याद आ गए, कोई नहीं है मेरा ये दिल में सोचकर, दुनिया से जा रहा था कि तुम याद आ गए। हाजी सईद आलम ने ऐसे छाप छोड़ी-उम्र यूं ही निकल गई जैसे, बर्फ की सिल पिघल गई जैसे, तू जो बदला तो ऐ मेरे हमदम, सारी दुनिया बदल गई जैसे। गीतकार देवेंद्र देव ने कहा-अब ना किसी को चिट्ठी और न ही तार देंगे, हर दुख भरी घड़ी को हंस कर गुजार देंगे, पलकों के आसमां पर जिनको रहे बिठाए, उनको जमीन पर हम जल्दी उतार देंगे। संस्था की अध्यक्ष शाफिया शाद ने धन्यवाद किया। मंच संचालन आसिफ कमाल ने किया। इनके अलावा शायर शाहबाज नदीम, अमिता, प्रतीक्षा आसिफ कमाल, केके बहल, ओम प्रकाश, अवधेश मिश्र, राजेश तल्ख व मोहम्मद अशरफ ने भी गजलों व कविताओं से माहौल को खुशनुमा बनाया। एडवोकेट एमपी नागर, नीतिपाल अत्री, सामाजिक संस्था सेवा के अनवर खान व रणजीत चौहान कार्यक्रम में विशेष रूप से मौजूद रहे।

No comments:

Post a Comment