Tuesday, March 29, 2011

रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से दिनोंदिन जमीन की सेहत बिगड़ी :डॉ. बीआर कांबोज

करनाल,
जमीन में कार्बनिक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए मूंग की खेती सबसे बड़ा विकल्प माना जा रहा है। रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से दिनोंदिन जमीन की सेहत बिगड़ती जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से अपील की है कि वे गेहूं की कटाई के बाद खेत में मूंग की बिजाई करें। इससे उन्हें दोहरा लाभ होगा। एक तो दलहन की पैदावार बढ़ेगा और जमीन को आवश्यक कार्बनिक तत्व की पूर्ति होगी।
सीरियल सिस्टम्स इनिशिएटिव फॉर साउथ एशिया परियोजना के प्रदेश हब समन्वयक डॉ. बीआर कांबोज ने बताया कि दलहनी फसलों को फसल चक्र में शामिल करना जरूरी हो गया है। किसान पर्याप्त मात्रा में खेतों में देसी खाद नहीं डाल रहे हैं और रासायनिक खाद का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इस कारण भूमि की हालत दिनोंदिन बदतर होती जा रही है। भूमि में आवश्यक पोषकतत्वों की पूर्ति के लिए मूंग बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि गेहूं कटाई के बाद किसान खेतों में बिना जुताई ड्रिल मशीन से मूंग की बिजाई करें। इससे दालहनी की पैदावार होने के साथ ही भूमि को हरी खाद मिलेगी।
डॉ. कांबोज ने बताया कि कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्रों और राष्ट्रीय अनुसंधान केद्रों के सहयोग से किसानों को संसाधन संरक्षण की विधियों के लिए जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। सीसा परियोजना के तहत इस बार करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, अंबाला, यमुनानगर, सोनीपत और पानीपत में दो सौ एकड़ भूमि में मूंग की बिजाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि गेहूं कटाई के बाद मूंग की एसएमएल-668 किस्म की बिजाई करें, जो 60 से 65 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

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