करनाल(काम्बोज)
गर्मी का मौसम आते ही मच्छरों ने डंक मारना शुरू कर दिया है। मच्छरों की तादाद से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग सजग है। मच्छरों को चट करने वाली गंबूजिया मछली का उत्पादन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करने की योजना है। योजना सिरे चढ़ी तो जिले की सभी सीएचसी में गंबूजिया मछली की ब्रीडिंग कराकर जोहड़ों में छोड़ा जाएगा। सिविल अस्पताल स्थित मलेरिया विभाग में पांच वर्ष पूर्व गंबूजिया मछली की हैचरी बनाई गई थी। यहां से फरवरी 2011 तक जिले के 188 तालाबों में यह मछली छोड़ी जा चुकी हैं। गंबूजिया मच्छर के लारवा को खा जाती है। इससे मच्छरों की तादाद पर अंकुश लगा रहता है। वर्षा के दौरान मलेरिया प्रभावित होने वाले गांवों में इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
जिलास्तर पर इस मछली की अधिक ब्रीडिंग नहीं हो पाती इसलिए स्वास्थ्य विभाग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इनकी हैचरी बनाने पर विचार कर रहा है। सिविल सर्जन इसके लिए बकायदा चिकित्सकों को कह चुकी हैं कि वह सीएचसी में गंबूजिया मछली के लिए तालाब बनवा लें और वहीं से आसपास के गांवों में उन्हें छोड़ा जाए।
नालों में डाली जा रही एंटी लारवा
मलेरिया विभाग की बायोलाजिस्ट राज भांबा ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ ही मच्छर पनपने लगे हैं। इसके मद्देनजर नगरपालिका को शहर में नालों की सफाई के लिए लिखा जा चुका है। एंटी लारवा दवा डाली जा रही है ताकि मच्छरों की तादाद न बढ़ पाए। कोई भी व्यक्ति मलेरिया विभाग में मच्छरदानी पर डेल्टामैथीन दवा लगा सकता है। इसके बाद मच्छरदानी के छूने वाले मच्छर तुरंत मर जाते हैं। उन्होंने शहरवासियों को कूलर में स्वच्छ पानी रखने, घर के आसपास पानी जमा नहीं होने देने, सभी कमरों में दवा का छिड़काव करवाने, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करने, शरीर को पूरी तरह ढककर सोने, गढ्डों में जमा पानी में लारवानाशक दवा डालने की सलाह दी है।
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