निर्मल ग्राम के लिए इन्द्री के चयनित गांवों में पहुंची मूल्यांकन टीम
इन्द्री,सुरेश अनेजा
प्रशासन द्वारा चयनित नौ गांवों में निर्मल ग्राम की जांच करने के लिए मूल्यांकन टीम पहुंची। टीम के पहुंचने से पहले गांव में पुरस्कार हासिल करने के लिए ग्रामीणों को झूठ का पाठ पढ़ाया गया। गांवों में स्वच्छता अभियान से जुड़े कर्मी, अधिकारियों और सरपंचों के अजीबो-गरीब हालात देखने को मिले। वो लोगों को जागरूक कर रहे हैं कि मूल्यांकन के दौरान क्या बातें कहनी हैं, किस प्रकार का व्यवहार करना है जैसे पाठ पढ़ाते रहे लेकिन वास्तविक स्थिति छुपाने से भी छुप नहीं रही है। कईं गांव में नाले अटे पड़े हैं, जगह-जगह गंदगी पसरी हुई है, सडक़ों के किनारे बड़े-बड़े कुरडिय़ों के ढ़ेर लगे हुए हैं। अब देखना है कि मूल्यांकन टीम सही मूल्यांकन रिपोर्ट पेश करेगी या नहीं। बृहस्पतिवार व शुक्रवार टीम के सदस्यों ने गांव की नालियां, नाले, गोबर गैस प्लांट, स्कूल, आंगनवाड़ी व सार्वजनिक स्थानों के शौचालयों, पेयजल के रखरखाव का मुआयना किया और ग्रामीणों के साथ घर-घर जाकर बातचीत की। मूल्यांकन टीम के सदस्य गांव में रात को भी ठहरे हुए हैं। मूल्यांकन कर्ता परीक्षा में नकल करने वाले विद्यार्थियों से कईं गुणा होशियार लग रहे हैं। सदस्यों ने गांवों में रात में र्भी डेरा डालकर जांच की है कि क्या सही में ग्रामीण शौचालय में शौच के लिए जा रहे है या बाहर।
बृहस्पतिवार को गांव मनक माजरा, बुढ़ेड़ी, मुरादगढ़ व फूसगढ़ में निर्मल ग्राम का मूल्यांकन करने के लिए टीम पहुंची। सरपंच बलबीर चंदेल, रणबीर सिंह, पवन कांबोज, बनीश चंद्र, ग्राम सचिव मुकेश कांबोज, ग्राम सचिव, खंड प्रेरक रेणू कांबोज, दीपमाला, जोगिन्द्र व साक्षर भारत की खंड संयोजक मंदीप कौर ने टीम के सदस्यों का स्वागत किया। स्वागत समारोह के बाद सदस्यों ने सरपंच के साथ गांव का दौरा किया। फूसगढ़ में राजेश कुमार सिंह ने गांव के घर-घर में जाकर लोगों के साथ आत्मीयता से बात की और स्वच्छता के विभिन्न घटकों पर लोगों की समझ को जानने की कोशिश की। शुक्रवार को मुल्यांकन टीम के सदस्यों ने कलरी खालसा, खेड़ा, मटकमाजरी व फाजिलपुर गांव का दौरा कर आंगनबाडिय़ों, स्कूलों, सडक़ों पर पड़ी कुरडिय़ों, गंदे पानी के नाले व पीने के पानी की स्थिति को देखा।
टीम के पहुंचने से पूर्व गांवों में किसी भी प्रकार से निर्मल ग्राम की परीक्षा पास कर लेने के लिए झूठ का पाठ पढ़ाया गया। बुढ़ेड़ी में पिछले कईं सालों से गांव का तालाब लोगों की समस्याओं का कारण बना हुआ है। थोड़ी सी बरसात होते ही इसका पानी ओवर-फ्लो होकर गलियों में आ जाता है। आज मूल्यांकन में पास होने के लिए पंचायत ने इस गंदे तालाब का पाप छुपाने के लिए मजदूरों को लगाया। इसी प्रकार से तालाब के ऊपर जमी काई को भी उतारा गया। गांव फाजिलपुर में सडक़ों के किनारों पर कुरडिय़ों व गंदगी के डेर लगे हैं। लेकिन फाजिलपुर गांव में शौचालय होने की बात अधिकारी बता रहे हैं। अधिकारियों व स्वच्छता कर्मियों द्वारा इस गांव को पुरस्कार के काबिल बताया जा रहा है। विभिन्न गांवों में ग्रामीणों को परीक्षा पास करने के लिए झूठ बोलने की हिदायत दी गई। गांवों में जिन घरों में शौचालय नहीं हैं, उन्हें भी यह बताया कि आपने यह नहीं कहना कि वे बाहर शौच जाते हैं। उन्हें पड़ोसियों के शौचालय में शौच जाने की बात कहने के लिए कहा गया। मूल्यांकन से पहले पुरस्कार हासिल करने की हड़बड़ाहट ने सवाल यह उठाया है कि क्या मूल्यांकन के बाद भी यह सफाई व्यवस्था बनी रहेगी। क्या पंचायत बाद में भी इसी प्रकार से सफाई अभियान चलाती रहेगी।
प्रदेश को शिक्षा का हब बनाने के दावे की निकली हवा
आधा सत्र बीत जाने के बावजूद स्कूलों में नहीं पहुंची किताबें
इन्द्री,विजय काम्बोज
सरकार द्वारा प्रदेश को शिक्षा का हब बनाने के दावों की सर्व शिक्षा अभियान के कर्ताधर्ताओं ने हवा निकाल रखी है। आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद आज तक भी सर्व शिक्षा अभियान के तहत विद्यार्थियों को नि:शुल्क दी जाने वाली बहुत सी किताबें स्कूलों तक नहीं पहुंच पाई हं। आज जैसे ही यह संवाददाता कार्यालय पहुंचे तो आनन-फानन में थ्रीव्हीलर मंगवा कर कार्यालय में भर कर रखी किताबों को उसमें लादना शुरू कर दिया गया। बाद में एक एबीआरसी ने तीन क्लस्टर में किताबें पहुंचाए जाने का दावा किया। किताबें सप्लाई किए जाने के तौर-तरीकों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अभियान के कारिंदों द्वारा किताबें स्वयं सप्लाई किए जाने की बजाय स्कूली बच्चों को किताबें उठाने के काम में लगाया जा रहा है जिसकी अध्यापकों ही नहीं अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं व अभिभावकों के द्वारा भी आलोचना की जा रही है। सरकार की योजना के तहत राजकीय स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत मुफ्त किताबें दी जाती हैं। एक अप्रैल से शुरू हुए सत्र में सतत् व्यापक मूल्यांकन के तहत अध्यापकों द्वारा प्रथम समेस्टर की परीक्षाएं ले ली गई हैं, लेकिन आज तक भी स्कूलों में बच्चों के लिए बहुत सी किताबें नहीं मिल पाई हैं।
इससे अंदाला लगाया जा सकता है कि विद्यार्थियों ने परीक्षाओं में क्या गुल खिलाए होंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को किसी भी विषय की पाठ्य-पुस्तकें नहीं मिली हैं। केवल हिन्दी व गणित की कार्यपुस्तिकाएं दी गई हैं। छठी कक्षा की गणित, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन, हिन्दी की पाठ्य पुस्तक बसंत और हमारे अतीत नामक किताबें नहीं पहुंचाई गई हैं। सातवीं कक्षा में विज्ञान, गणित, हमारे अतीत और सभी विषयों की कार्यपुस्तिकाएं तथा आठवीं कक्षा में अंगे्रजी की ए टैक्सट विद सन, पृथ्वी हमारा आवास, हिन्दी, विज्ञान, सामाजिक अध्ययन विषय की कार्यपुस्तिका विद्यार्थियों को नहीं मिली है। खंड इन्द्री के 107 सरकारी प्राथमिक स्कूलों व 27 मिडल स्कूलों में विद्यार्थियों को पढऩे और अध्यापकों को पढ़ाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर अध्यापकों व अभिभावकों में इसको लेकर रोष व्याप्त है। दूसरी ओर खंड शिक्षा अधिकारी व सर्व शिक्षा अभियान के बीआरसी की कार्यप्रणाली से लोग संतुष्ट नहीं हैं। लोगों में अधिकारी के अपने कार्यालय की बजाय एक नेता के यहां हाजरी लगाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कोई समस्या आने पर अध्यापक उनसे संपर्क नहीं कर सकता है क्योंकि उनके पास बहुत से मोबाइल नंबर बताए गए हैं। जब वे उनके नम्बर पर संपर्क करते हैं तो उन्हें स्विच ऑफ मिलता है और अधिकारी ऑफिस में तो बहुत कम ही दिखाई देते हैं। जब पत्रकारों ने अभियान के कार्यालय में संपर्क किया तो वहां पर केवल कम्प्यूटर ऑपरेटर मौजूद थे। कार्यालय में रखी किताबों, उन पर चढ़ी धूल और मकडिय़ों के जालों से ऐसा लग रहा था कि इस कार्यालय में कोई आता ही नहीं। जब फोन पर एबीआरसी सुखविन्द्र से बात की गई तो उन्होंने कहा कि किताबें कुछ ही दिन पहले आई थी। अभियान का सारा स्टाफ मेडिकल कैंप व खेलों के आयोजन में लगा हुआ था। उन्होंने कहा कि किताबों की सप्लाई आज ही शुरू कर दी गई है और तीन क्लस्टरों में किताबें भेज दी गई हैं। जब उनसे बीईओ के संपर्क नम्बर मांगा गया तो उन्होंने कहा कि उनके साहब कईं नंबर रखते हैं। उन्हें क्या पता कि कौन सा नम्बर चल रहा होगा।