करनाल सुरेश अनेजा
हरियाणा के लोकायुक्त प्रीतम पाल सिंह ने कहा कि जो अधिकारी, कर्मचारी या चुने हुए प्रतिनिधि किसी कार्य को करने के लिए रिश्वत लेते हैं वे भ्रष्टाचारी हैं तथा उनकी हालत एक भिखारी से भी बदतर है। रिश्वतखोरों का निर्भय होकर व डटकर मुकाबला करो, मैं आपके साथ हूं। लोकायुक्त स्थानीय पंचायत भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में जिलाधिकारियों, एन.जी.ओ. व पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा मीडियाकर्मियों को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जहां से भी भ्रष्टाचार की बू आए उसका विरोध करो। भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति को नीचा दिखाकर छोड़ेंगे। लेकिन भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए जनता का सहयोग जरूरी है, क्योंकि जन शक्ति ही सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकारी दफ्तरों में जिम्मेदारी की कुर्सी पर बैठे कुछ लोगों के खिलाफ अविश्ववास की भावना आम लोगों के जहन में है। दफ्तरों में काम करवाने के लिए सिफारिश या पैसा होना चाहिए ऐसी लोगों की सोच बन गई है। कोई आदमी दफ्तर में आता है कोई कर्मचारी उसके साथ सीधे मुंह बात नहीं करते फिर उसे बिचौलिए का सहारा लेना पड़ता है और शुरू होती है लेन-देन की कहानी। इस प्रथा को समूल नष्ट करने के लिए भ्रष्टाचारी व्यक्ति को उसकी नैतिकता याद दिलानी होगी या उसके अन्दर डर पैदा करना होगा।
उन्होंने हाल में उपस्थित लोगों को लोकायुक्त की परिभाषा, उसके कार्य और शिकायत करने के तरीके की विस्तार से जानकारी दी और कहा कि मजबूत लोकतंत्र के लिए स्वच्छ एवं पारदर्शी शासन प्रणाली निहायत जरूरी है। आज भ्रष्टाचार रूपी राक्षस समाज व देश के लिए नासूर बन चुका है। इस पर अंकुश लगाने के लिए ही हरियाणा में लोकायुक्त की नियुक्ति की गई है। इस संस्थान का एकमात्र उददेश्य समाज और प्रशासन में किसी भी स्तर पर होने वाली अनियमितता और भष्ट्राचार पर कड़ी निगरानी और उसके विरूद्ध कठोर कार्यवाही करना है। उन्होंने बताया कि आई.पी.सी. 1860 की धारा 21 के अन्तर्गत वर्तमान एवं पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, विधान मंडल के सदस्य, निकायों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, हरियाणा पंचायती राज अधिनियम के तहत गठित जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, विश्वविद्यालयों के उप-कुलपति तथा समस्त उच्चाधिकारी व कर्मचारी को लोक सेवक के रूप में परिभाषित किया गया है। इन सभी के कार्य-कलापों पर पैनी नजर रखना और किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर कठोर कार्यवाही करना लोकायुक्त का कार्य है।
उन्होंने कहा कि केवल दुखी व्यक्ति को ही शिकायत करने का अधिकार नहीं है बल्कि किसी भी व्यक्ति को जहां भी भ्रष्टाचार होने का आभास हो वह भी शिकायत कर सकता है और उस शिकायत में अपना नाम, सरकारी कर्मचारी या अधिकारी का नाम तथा मूल शिकायत की विस्तृत बात लिखी गई हो। शिकायत पत्र के साथ हल्फिया ब्यान व एक हजार रुपये की जूडिसियल स्टैम्प लगानी जरूरी है लेकिन यदि कोई निर्धन या बी.पी.एल. व्यक्ति एक हजार रुपये की टिकटे लगाने में असमर्थ हो तो वह अपनी मजबूरी भी प्रमाण सहित लिख सकता है। ऐसे व्यक्ति की शिकायत पर भी कार्यवाही की जायेगी। अवैध रूप से सम्पत्ति बनाने वाले राजनैतिक व्यक्ति की शिकायत मिलने पर उसकी जांच के बाद उसके बैंक खाते बिना बताए अपने कब्जे में लिए जा सकते है।
इसी प्रकार कोई पीडि़त कर्मचारी जिसके साथ सरकारी लाभ देने के मामले में उच्च अधिकारी की ओर से अन्याय हुआ हो उसके खिलाफ भी कार्यवाही करने का प्रावधान है। हालांकि उन्होंने कहा कि शिकायत कर्ता की ओर से शिकायत सत्य होनी चाहिए और वह पूर्ण साक्ष्यो पर आधारित हो। झूठी शिकायत करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध 3 साल की कैद और 10 हजार रुपये की जुर्माने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा का लोकायुक्त संस्थान देश के विभिन्न राज्यों की तुलना में श्रेष्ठ संस्थान है। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर लोगों की शिकायतों का निवारण करने के लिए गैर राजनैतिक सिविल सोसायटी का गठन होना चाहिए इसमें अच्छे व ईमानदार लोग शामिल किये जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे संगठन के गठन के बाद 90 प्रतिशत शिकायतें जिला स्तर पर ही हल हो जाएगी। उन्होंने बताया कि मैंने सरकार के पास कई संदर्भ भेजे हैं जिन पर अमल किया जा रहा है। दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कार्यवाही हुई है एफ.आई.आर. दर्ज की गई है। कई बड़े लोगों के खिलाफ भी कार्यवाही होगी जो पाईप लाईन में हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा में लोकायुक्त के गठन के बाद जनवरी 2011 से 24 अगस्त 2011 तक 544 शिकायतों के विरूद्ध 385 का निपटारा किया गया है। लम्बित में से 10 प्रतिशत ऐसी है जो कोर्ट में विचाराधीन है। 20 प्रतिशत शिकायतों को कार्यवाही के लिए सरकार के पास भेजा गया है और उन पर सरकार ने एक्शन लिया है।
बैठक में लोकायुक्त ने अपने जीवन के अनुभव भी सांझे किये। उन्होंने कहा कि मैंने जीवन पर्यन्त ईमानदारी से अपने पद की गरिमा और कत्र्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन किया है। ईमानदारी श्रेष्ठ नीति है। हर व्यक्ति को अपना आत्म-चिन्तन करना चाहिए। बड़े बड़े औहदे पर बैठे लोगों को ईश्वर का शुक्रिया करते हुए ईमानदारी से और सेवा भावना से काम करना चाहिए। बैठक में लोकायुक्त ने करनाल की उपायुक्त श्रीमती नीलम प्रदीप कासनी की मुक्त कंठ से यह कहकर सराहना की कि उपायुक्त ने बीत 6 सितम्बर को कन्याभ्रूण हत्या के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक द्वारा अपने आप से शपथ लेने की जो आवाज उठाई है वह अपने आप में एक अनुपम कदम है। उन्होंने अपनी प्रशंसा में यह भी कहा कि हर महीने की 6 तारीख को प्रात: 9 बजे प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इस तरह का संकल्प लेना नि:सन्देह इस बुराई के खिलाफ मील का पत्थर साबित होगा।
बैठक में उपस्थित मीडियाकर्मियों व एन.जी.ओ. की ओर से कई सवाल पूछे गए जिनका लोकायुक्त ने सहज भाव से उत्तर दिया। इससे पूर्व उपायुक्त श्रीमती नीलम पी. कासनी ने लोकायुक्त का स्वागत किया और कहा कि आज हर व्यक्ति के अन्दर कहीं न कहीं बैचेनी दिखाई देती है जो बाहर प्रकट होना चाहती है। 64 वर्ष की आजादी के बाद भी हमारे समाज में उतनी परिपक्वता नहीं आई है। लोगों की इसी बैचेनी को शांत करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एक दूसरे का आदर करना चाहिए। व्यक्ति की जिंदगी अर्थपूर्ण हो। उन्होंने लोकायुक्त का आभार भी व्यक्त किया और कहा कि जो लोग अच्छा काम करते हैं उनकी तारीफ होती है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि लोकायुक्त ने करनाल जिला प्रशासन से जो अपेक्षा की है उस पर खरा उतरेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि करनाल में कन्या बचाओ के लिए जो मुहिम चलाई गई है वह सबके सहयोग और जागरूकता से लिंगानुपात में बराबरी ला सकती है।
इससे पूर्व लोकायुक्त ने सुबह स्थानीय श्रद्धानंद अनाथालय में जाकर 51 कुण्डीय बृहद यज्ञ में भाग लिया और पवित्र मंत्रोच्चारण के बीच आहूति दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वैदिक प्रचार से देश में उन्नति बढ़ेगी। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने जो सूत्र दिये थे उनमें से एक का भी अनुकरण कर लिया जाए तो जीवन सफल हो सकता है। लोकायुक्त ने इस अवसर पर अनाथालय में स्वामी दयानंद सरस्वती के नाम से स्कूल कमरों का उदघाटन किया और अनाथालय की ओर से तैयार भजनों की सी.डी. का विमोचन किया। इस अवसर पर अनाथालय ट्रस्ट की ओर से अनेक वेदाचार्य उपस्थित थे।
इस अवसर पर संस्था के प्रबंधक बलदेव राज आर्य, एडवोकेट विजय आर्य, प्रधान ठाकु र बिजेन्द्र सिंह, कर्णवीर आर्य, शुभ्रमणी आर्य, समाजसेवी कंवल भसीन, गोपीनाथ आर्य, आचार्य वेदप्रकाश शास्त्री भानू प्रताप शास्त्री और प्रभा शास्त्री उपस्थित थे। दूसरी ओर पंचायत भवन में आयोजित बैठक में जिला परिषद के अध्यक्ष अंग्रेज सिंह धूमसी, अतिरिक्त उपायुक्त एम.के.पांडुरंग, पुलिस अधीक्षक राकेश आर्य सहित जिले के अधिकारी व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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