Wednesday, September 7, 2011

साम्प्रदायिक एकता की एक अदभूत मिशाल है गांव


करनाल सुरेश अनेजा
जिले के निसिंग खंड के गांव प्रेम खेडा के निवासी अपने बुर्जगों की परम्पराओं एवं रिति-रिवाजों को निभाते हुए आपसी प्रेम प्यार एवं सौहार्दपूर्र्ण माहौल में जीवन व्यतीत करके अपने गांव के नाम को पूर्णतय सार्थक कर रहे है। इस गांव के लोगों की आपसी प्रेम-प्यार की चर्चा दूसरे गांव के लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बना हुआ है। 
जिला मुख्यालय से पश्चिम-उत्तर दिशा में लगभग 25 किलो मीटर दूर निसिंग खंड के प्रेेम खेड़ा गांव का अपना एक ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व है। भौतिकवाद के चलते यहां के लोग आज भी आपसी साम्प्रदायिक एकता की एक अदभूत मिशाल पेश कर रहे है। गांव के बुर्जगोंं के अनुसार गांव का नाम प्रेम खेड़ा, इसलिए  पड़ा  था कि यहां के सभी बिरादरी के लोगों का आपस में बहुत प्रेम-प्यार था और कोई भी व्यक्ति किसी के प्रति द्वेष भावना नहीं रखते थे। सभी के सुख-दुख को मिल जुलकर आपसे में बांट लेते थे। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के दुख को अपना दुख समझता था। इसलिए बुर्जगों ने गांव का नाम प्रेम खेड़ा रखा था और आज भी इस गांव में ऐसा ही माहौल देखा जा सकता है। 
गांव वासियों  के अनुसार यह गांव मौजा ब्रास में बसा हुआ है। उनका कहना था कि हमारे बुर्जग गुलरपुर गांव से आकर यहां बसे थे।  लगभग 1400 आबादी के गांव में अधिकतर रोड समाज के लोग रहते है। इनके अलावा गांव में हरिजन व बाल्मिकी बिरादरी के लोग भी रह रहे है। गांव में सुख शान्ति बनाये रखने के लिए सामुहिक रूप से सभी वर्गों के लोगों द्वारा दादा खेड़ा के नाम हर वर्ष एक विशाल भंडारे व हवन यज्ञ का भी आयोजन करवाया जाता है । यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती बाड़ी है। गरीब वर्ग के लोग मजदूरी के साथ-साथ पशुपालन का कार्य भी करते है जिससे उनकी आजीविका चलती है। यहां के लोगों का रहन सहन सादगी भरा है। लोग तीज त्यौहारों को बडेे हर्षउल्लास के साथ मनाते है। गांव में  सुन्दर मकान और चौड़ी-चौड़ी सी.सी गलियां गांव की शोभा बढ़ा रही है।  गांव में पीने के पानी व अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध है। गांव में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु का कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर नहीं है। अगर कोई बच्चा स्कूल छोडऩे का प्रयास करता है तो गांववासियों द्वारा अभिभावकों को ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों द्वारा समझाया जाता है। गांववासियों द्वारा किसी भी सामाजिक बुराईयों के खिलाफ भी एकजुट मुहिम चलाई जाती है। गांव वासियों का प्रयास है कि वे घटतें लिंगानुपात पर लोगों को जागरूक करें।  
गांव की महिला सरपंच संतोष देवी का कहना है कि वह गांव के सर्वागीण विकास के लिए निरन्तर प्रयासरत है। वह अतिरिक्त उपायुक्त व खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी निसिंग के कार्यालय में विकास कार्यों के प्रस्ताव ग्राम पंचायत के माध्य में समय-समय पर भिजवाती रहती है।  विकास कार्याे का पैसा जब ग्राम पंचायात के पास आता है तो बिना देरी के विकास कार्य शुरू करवा दिये जाते है। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भेजे गये विकाय कार्याे के प्रस्ताव में गांव की फिरनी, गलियों को पक्का करवाने तथा अधूरे पड़े कार्य शामिल है उनका कहना था कि गांव में पंचायत के पास आय का कोई साधन नहींं है केवल राज्य सरकार से प्राप्त अनुदान राशि के आधार पर ही विकास कार्य करवाये जाते है। 
उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुडडा का आभार प्रक ट करते हुए कहा कि राज्य सरकार का ग्राम पंचायतों के खातों में सीधे धन राशि विकास कार्याे के लिए जमा करवाना एक ऐतिहासिक निर्णय है।  इस निर्णय से गांव के विकास में ओर तेजी आयेगी तथा पंचायतों के सामने आने वाली प्रशासनिक अडचने भी दूर होगी। उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं के जन-प्रतिनिधियों के बढ़ाये गये मानदेय के लिए मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया।

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