करनाल 22 जून,सुरेश अनेजा
किसानों के लिये मूंग की खेती आर्थिक रूप से वरदान साबित हो रही है। अब किसानों का रूझान आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिये साठी धान की जगह साठी मूंग की तरफ बढ़ रहा है। जिले में इस वर्ष करीब 8 हजार एकड़ जमीन पर मूंग की खेती की गई है। इस पर सरकार ने किसानों को 3200 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन के रूप में दिये हैं। किसानों को आर्थिक लाभ देने के लिये भारत सरकार व हरियाणा सरकार ने संयुक्त रूप से कई योजनाएं चलाई हैं। इन योजनाओं में ए-3पी प्रोग्राम जिसमें किसानों को धान के स्थान पर गेहूं की फसल के बाद मूंग की फसल उगाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है इसके लिये भारत सरकार ने पूरे देश में वर्ष 2010 से 2012 तक करीब 10 लाख एकड़ जमीन में मूंग का उत्पादन करवाना है। मूंग की फसल को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा हरियाणा में प्रति एकड़ 5400 रुपये किसानों को प्रोत्साहन के रूप में दिये गये हैं, परन्तु इसका लक्ष्य केवल 4 हजार हेक्टेयर जमीन पर मूंग की फसल की बुआई करवाना था। सरकार ने केन्द्र सरकार के इस कार्य को सफलतापूर्वक लागू किया जिसमें इस समय प्रदेश के करनाल व कुरूक्षेत्र में मूंग की फसल निर्धारित लक्ष्य से करीब दुगुने अर्थात 7 हजार हेक्टेयर भूमि पर उगाई गई जिसके चलते कृषि विभाग ने सभी किसानों को प्रोत्साहन राशि देने के लिये इस राशि को 3200 रुपये कर दिया। इस प्रोत्साहन राशि से किसानों को मूंग का बीज, खाद, कीटनाशक दवाई, जिप्सम, जिंक आदि दिया गया। भारत सरकार की नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन की इस योजना को उन्नत करने के लिये हरियाणा का कृषि विभाग काफी प्रयासरत है। किसान भी सरकार की इस योजना का लाभ उठाकर आर्थिक लाभ उठा रहे हैं।
इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए मिशन के राष्ट्रीय कृषि सलाहकार भारत सरकार डाक्टर रविन्द्र सिंह सैनी ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में हरियाणा दिन-रात उन्नति कर रहा है। यहां का किसान काफी समृद्धशाली हो रहा है। भारत सरकार द्वारा कृषि संबंधी जो भी योजना हरियाणा में भेजी जाती है उसको सरकार द्वारा गर्मजोशी से लागू किया जाता है। उन्होंने मूंग की फसल के उत्पादन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से हरियाणा के मूंग फसल का उत्पादन करने वाले किसानों से बात की है तथा उनके खेतों में जाकर फसल का मुआयना किया है जिसके परिणाम स्वरूप यह पाया कि हरियाणा में भारत सरकार के लक्ष्य से भी ज्यादा काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा मूंग ऐसी फसल है जिसमें कोई खर्चा नहीं होता अगर खर्चा भी होता है उसका सारा वहन सरकार द्वारा किया जाता है परन्तु इससे होने वाली आय जो कि करीब 20 हजार रुपये प्रति एकड़ सीधी किसानों को हो रही है। मूंग की फसल के उत्पादन से किसान और मजदूरों के घरों में भी पौष्टिक दाल का सेवन किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि यह फसल साठी धान के मुकाबले किसानों के लिये काफी फायदेमंद है। यह धान की तरह 60 दिन की खेती है और सरकार द्वारा आने वाले समय में मंूग की खेती के क्षेत्र को बढ़ावा दिया जायेगा। कृषि उप-निदेशक देवेन्द्र सिंह मलिक ने दावा किया कि जिले के किसानों ने इस वर्ष शत-प्रतिशत साठी धान की बुआई नहीं की है जिसके स्थान पर किसानों का अधिकतर रूझान मूंग की फसल के उत्पादन पर रहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में जिले के किसानों को अधिक से अधिक मूंग की खेती के प्रति उत्साहित किया जायेगा।
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