इन्द्री, विजय काम्बोज
एक तरफ तो सरकार सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करने के दावे कर रही है, दूसरी तरफ शेख कलंदर समुदाय के बहुत से बच्चे अपने अभिभावकों के साथ तमाशा करते-करते खुद भी एक तमाशा बन रहे हैं। पेट की आग बुझाने के लिए ये बच्चे सांप व नेवलों सहित विभिन्न प्रकार के करतब दिखाकर अपनी जान से खेल रहे हैं। तमाशबीन तो तमाशा देखते हैं लेकिन सरकार व प्रशासन को इनकी कोई परवाह नहीं है। सोमवार को उपमण्डल कार्यालय के प्रांगण में इन बच्चों को तमाशा करते देखकर लोगों ने जमकर तालियां बजाई लेकिन इन बच्चों की दयनीय दशा पर किसी को तरस नहीं आया। शहर के वार्ड नं. 11, 12 और 4 में शेख कलंदर समुदाय की बहुत बड़ी आबादी गरीबी और बदहाली का जीवन जीने को मजबूर है। ये लोग सुविधाओं से महरूम बस्तियों में झोपडिय़ों व मिट्टी के कच्चे मकानों में रह रहे हैं। स्थाई रूप से रोजगार व आय का साधन नहीं होने के कारण ये लोग तमाशा दिखाकर अपने परिवार का पेट पालते हैं। इस काम में इनके बच्चे भी इनका साथ देते हैं लेकिन पेट भरने की इस जद्दोजहद में बच्चों की शिक्षा अनदेखी रह जाती है। इन बच्चों के लिए सरकार द्वारा बनाए गए शिक्षा का अधिकार अधिनियम और सर्व शिक्षा अभियान के कोई मायने नहीं है। सरकार ने बाल मजदूरी को चाहे प्रतिबंधित कर रखा हो लेकिन गरीबी को समाप्त किए बिना यह कानूनी उपाय बेमानी ही है।
उपमण्डल कार्यालय में तमाशा दिखाने वाले बच्चों से जब बात करनी चाही तो कैमरा देखकर वे डर गए। बाद में उनके अभिभावकों ने सिर्फ इतना कहा कि पापी पेट का सवाल है। इस बारे में राजकीय अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष जगतार सिंह, खण्ड प्रधान श्याम लाल शास्त्री, सचिव महिन्द्र कुमार का कहना है कि इस प्रकार के विशेष समुदायों के बच्चों की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग व सर्व शिक्षा अभियान द्वारा विशेष योजना बनाई जानी चाहिए। सर्व शिक्षा अभियान में विशेष अध्यापक ज्ञानचंद ने बताया कि राजीव कॉलोनी में एक नया स्कूल इन बच्चों की जरूरतों को देखते हुए खोला जाना प्रस्तावित है।
No comments:
Post a Comment