घरौंडा-25 जून(प्रवीन सोनी)
केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई महात्मा गांधी आवासीय योजना अधिकारियों की लाल फीत्ताशाही व लापरवाही के चलते हल्के में दम तोड़ती नज़र आ रही है। सरकार द्वारा पिछले तीन सालों से शुरू की गई इस योजना के तहत हल्के में मात्र एक गांव ऐसा है जहां प्रशासन द्वारा गरीबों के रहने के लिए काटे गए प्लाटो में अभी तक पूर्ण कार्य किया है। बाकि अनेक गांवों में काटे गए प्लाटों की स्थिति ऐसी है जिनको गरीबों को अभी तक आबंटन ही नही किया गया है। प्रशासन द्वारा कछुए की चाल से चलाए जा रहे इस कार्य में ओर कितना समय लगेगा, इसका तो अंदाजा नही लगाया जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि प्लाट पात्र व्यक्ति अपने प्लाट को पाने व उसमें आशियाना बनाने के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है।
खंड के गांव बेगमपूर में काटे गए प्लाटों के बीच गलियों में लगाई गई घटिया स्तर की ईंटे।
छाया-तेजबीर
महात्मा गांधी ग्रामीण अवासीय योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में गरीबों को मिलने वाले 100-100 गज के प्लाटों के लिए जो जगह दी जाएगी उसमें गलियां, नालियां व सिवरेज बनाकर दिऐ जाने का प्रावधान है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ब्लाक सभी 53 पंचायतों में 75 गांव पड़ते है और इन गांवों में 70 गांवों में ऐसे परिवार है जो इस योजना के तहत प्लाट पाने के योग्य है और अन्य पांच गांवों में कोई भी व्यक्ति प्लाट पात्र नही है। लेकिन विडंबना ये है कि हलके के चौदह गांवों में तो कें द्र सरकार की इस स्कीम को गरीबों तक पहुंचानें के लिए पंचायती ज़मीन ही नही है और शेष 56 गांवों में 6753 पात्र है जो इस योजना के तहत प्लाट आवंटित किए जाने है।
खंड के गांव बेगमपूर में काटे गए प्लाटों के बीच गलियों में लगाई गई घटिया स्तर की ईंटे।
छाया-तेजबीर
खंड के अमृतपूर कलां, अमृतपूर खुर्द, कैरवाली, पीर बड़ौली, लालूपूरा, अराईपूरा, शेखपूरा खालसा, खोराखेड़ी, खेड़ी मूनक, फरीदपूर व ददलाना सहित चौदह गांव ऐसे है जहां पर या तो पंचायती जमीन नही है और या पंचायत की जमीन गांव से काफी दूरी पर है।
इसके अलावा गांव समालखा, कुटेल, बसताड़ा व पनौडी गांव ऐसे है जहां पंचायती जमीन पर काटे गए प्लाटों पर विवाद के चलते स्टे लगा हुआ है। ब्लाक में 54 गांव ऐसे है जिनमें प्लाटों के लिए ड्रा निकाल दिया गया है और 30 गांवों मे इन प्लाटों पर कार्य चल रहा है। पूरे ब्लाक में मात्र डिंगर माजरा एक ऐसा गांव है जहां पर प्रशासन द्वारा प्लाट पात्र 65 व्यक्तियों को प्लाट आवंटित कर उनमें गलियां व सडक़े बना दी गई है। बाकि अन्य पंचायतो में प्लाटों पर कार्य अधिकारियों की लाल फीताशाही व लापरवाही की भेंट चढ़ रहे है। इसके इलावा खंड के किसी भी गांव में पूर्ण रूप से कार्य नही हो पाया है और जिन गांवों मे काटे गए प्लाटों में प्रशासन द्वारा ईंटे लगा भी दी है वे सभी घटिया स्तर की है जिनमें भारी गोलमाल की आशंका है।
विभाग के एसडीओ केजी गोयल का कहना है कि प्रशासन द्वारा प्रथम दर्जे की ईंटों की खरीद 3400 रूपए तरह की हुई है। जबकि भट्ठों पर 4200-4300 रूपए प्रति हजार मिल रही है। ऐसे में विभाग के लिए सरकारी रेटों पर ईंटे खरीद पाना बहुत ही कठिन हो रहा है। उन्होने बतया कि इसको लेकर जिला प्रशासन से बातचीत चल रही है।
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