करनाल विजय काम्बोज
पशु पक्षियों के प्रति कू्ररता की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इसके तहत पशु पक्षी क्रूरता अधिनियम 1960 का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करके लोगों में जागरूकता बढ़ाई जायेगी। इसके साथ ही जिला स्तर पर गठित सोसायटी फार परिवेंशन आफ करूवल्टी आफ एनिमल को प्रभावी बनाने के लिए भी कदम उठाएं जायेंगे।
इस बात का खुलासा उपायुक्त श्रीमती नीलम पी. कासनी ने उक्त सोसायटी के सदस्यों के साथ एक बैठक के दौरान किया। उन्होंने कहा कि पशु पक्षियों के प्रति क्रूरता कानूनी जुर्म है और ऐसा करना अमानवीय भी है। पशुओं को पीटना, ठोकर मारना, ज्यादा वजन लादना, गाड़ी से कुचलना या उसे पीड़ा पहुंचाना क्रूरता है। पशु को उसकी क्षमता के विपरीत तकलीफदेह परिस्थितियों में उसे गाड़ी में लादकर उसे दूसरे स्थान पर ले जाना, पिंजरे में कैद करना, चेन या रस्सी से लम्बे समय के लिए जूडकर रखना, उपयुक्त मात्रा में चारा या सेल्टर न देना, आवारा छोड़ देना, रोग से पीडि़त होने पर मरने हेतु छोड़ देना तथा उसे क्रूर तरीके से जहर का टीका लगाकर मौत के घाट उतारना कानूनी जुर्म के दायरे में आता है। टीका लगाकर अधिक दूध निकालनेकी कोशिश करना भी जुर्म है। इसी प्रकार पक्षियों को उड़ाकर खेल खेलना भी पक्षियों के प्रति क्रूरता है।
उन्होंने कहा कि हम सडक़ों पर आवारा या भटके हुए पशुओं को देखते हैं जो किसी न किसी व्यक्ति या मालिक द्वारा छोड़े हुए होते हैं। लोगों को इस तरह से पशु भटकने के लिए नहीं छोडऩे चाहिए बल्कि उन्हें गौशालाओं में भेज दें। लोग बछड़ो व कटड़ो के अलावा गाय द्वारा दूध देना बंद कर देने पर भी उसे सडक़ों पर छोड़ देते हैं, जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। पशु और पक्षी मूक जानवर है और दया के मोहताज हैं इनके साथ अमानवीय व्यवहार कदापि नहीं करना चाहिए। बैठक में उपायुक्त ने उपस्थित अधिकारियों से कहा कि वे अधिकारियों को लेकर एक कमेटी बनाएं जो समय-समय पर बैठक करें और पशु क्रूरता अधिनियम के अन्तर्गत की जाने वाली गतिविधियों की समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि सोसायटी फार परिवेंशन आफ करूवल्टी आफ एनिमल का भी उपयुक्त फ्रेमवर्क किया जाए। उन्होंने बैठक में उपस्थित विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों के अतिरिक्त गऊशाला के प्रतिनिधि तथा जीवोमंगलम पक्षी अस्पताल के प्रतिनिधि से भी बातचीत की और उनके द्वारा किये जा रहे कार्यो की भी सराहना की तथा उनके सुझाव भी लिये। बैठक में नगराधीश महेश्वर दत्त शर्मा, करनाल के उपमंडलाधीश मुकुल कुमार, डी.डी.पी.ओ. सी.एस. दलाल, डी.आर.ओ. तथा उप-निदेशक सघन पशु विकास परियोजना डाक्टर गुरमीत सिंह भी उपस्थित थे।
पशु पक्षियों के प्रति कू्ररता की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इसके तहत पशु पक्षी क्रूरता अधिनियम 1960 का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करके लोगों में जागरूकता बढ़ाई जायेगी। इसके साथ ही जिला स्तर पर गठित सोसायटी फार परिवेंशन आफ करूवल्टी आफ एनिमल को प्रभावी बनाने के लिए भी कदम उठाएं जायेंगे।
इस बात का खुलासा उपायुक्त श्रीमती नीलम पी. कासनी ने उक्त सोसायटी के सदस्यों के साथ एक बैठक के दौरान किया। उन्होंने कहा कि पशु पक्षियों के प्रति क्रूरता कानूनी जुर्म है और ऐसा करना अमानवीय भी है। पशुओं को पीटना, ठोकर मारना, ज्यादा वजन लादना, गाड़ी से कुचलना या उसे पीड़ा पहुंचाना क्रूरता है। पशु को उसकी क्षमता के विपरीत तकलीफदेह परिस्थितियों में उसे गाड़ी में लादकर उसे दूसरे स्थान पर ले जाना, पिंजरे में कैद करना, चेन या रस्सी से लम्बे समय के लिए जूडकर रखना, उपयुक्त मात्रा में चारा या सेल्टर न देना, आवारा छोड़ देना, रोग से पीडि़त होने पर मरने हेतु छोड़ देना तथा उसे क्रूर तरीके से जहर का टीका लगाकर मौत के घाट उतारना कानूनी जुर्म के दायरे में आता है। टीका लगाकर अधिक दूध निकालनेकी कोशिश करना भी जुर्म है। इसी प्रकार पक्षियों को उड़ाकर खेल खेलना भी पक्षियों के प्रति क्रूरता है।
उन्होंने कहा कि हम सडक़ों पर आवारा या भटके हुए पशुओं को देखते हैं जो किसी न किसी व्यक्ति या मालिक द्वारा छोड़े हुए होते हैं। लोगों को इस तरह से पशु भटकने के लिए नहीं छोडऩे चाहिए बल्कि उन्हें गौशालाओं में भेज दें। लोग बछड़ो व कटड़ो के अलावा गाय द्वारा दूध देना बंद कर देने पर भी उसे सडक़ों पर छोड़ देते हैं, जो कि गलत है। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। पशु और पक्षी मूक जानवर है और दया के मोहताज हैं इनके साथ अमानवीय व्यवहार कदापि नहीं करना चाहिए। बैठक में उपायुक्त ने उपस्थित अधिकारियों से कहा कि वे अधिकारियों को लेकर एक कमेटी बनाएं जो समय-समय पर बैठक करें और पशु क्रूरता अधिनियम के अन्तर्गत की जाने वाली गतिविधियों की समीक्षा करें। उन्होंने कहा कि सोसायटी फार परिवेंशन आफ करूवल्टी आफ एनिमल का भी उपयुक्त फ्रेमवर्क किया जाए। उन्होंने बैठक में उपस्थित विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारियों के अतिरिक्त गऊशाला के प्रतिनिधि तथा जीवोमंगलम पक्षी अस्पताल के प्रतिनिधि से भी बातचीत की और उनके द्वारा किये जा रहे कार्यो की भी सराहना की तथा उनके सुझाव भी लिये। बैठक में नगराधीश महेश्वर दत्त शर्मा, करनाल के उपमंडलाधीश मुकुल कुमार, डी.डी.पी.ओ. सी.एस. दलाल, डी.आर.ओ. तथा उप-निदेशक सघन पशु विकास परियोजना डाक्टर गुरमीत सिंह भी उपस्थित थे।
No comments:
Post a Comment