इन्द्री विजय काम्बोज
गांव मुसेपुर में गऊ चरान में सौ-सौ गज के प्लॉट पंचायत के द्वारा काटे जाने के विरोध में गांव के लोगों ने सरपंच व इन्द्री प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। गांव के लोगों ने गऊ चरान में प्लॉटों के लिए बनाये जा रहे रास्ते को रोक कर इस कार्य में लगे मजदूरों को भी खदेड़ दिया। किसी भी मजदूर ने गांववासियों का विरोध नहीं किया। ग्रामीणों ने कुछ दिन पूर्व उपायुक्त को शिकायत की थी गांव का सरपंच अवैध रूप से गऊ चरान में बाड़े काट रहा हैं। लेकिन उस पर कोई कारवाई नहीं हुई। गत दिवस ग्रामीणों ने उपमंडलाधिकारी दिनेश यादव को भी इस बारे में शिकायत की थी। जिस पर उपमंडलाधिकारी ने इन्द्री बीडीओ को इस मामले की जांच करने के लिए कहा था। लेकिन इसके बावजूद गऊ चरान में से बाड़े काटे जाने की तैयारी शुरू हो गई है।
गौरतलब है कि सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों एवं पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए सौ-सौ गज प्लॉट देने की घोषणा की गई है। यह काम गांवों में पंचायतों द्वारा किया जाना है लेकिन गांव का सरपंच अवैध रूप से गऊ चरान की जमीन से बाड़े काटकर अयोग्य व्यक्तियों को या उन व्यक्तियों को जिन्हें पहले से ही बाड़े मिले हुए हैं को दे रहा है। जबकि इनके वास्तविक हकदारों को कुछ नहीं मिल रहा। पंचायत की 25 एकड़ शामलात भूमि है लेकिन बाड़े इस जमीन की बजाय गऊ चरान की 75 एकड़ भूमि से काटकर दिये जा रहे हैं। बाड़े उन लोगों को भी दिये जा रहे हैं जिन्होंने अपने बाड़े बेच दिये हैं या जिन्होंने अपनी जमीन पहले से ही खरीदी गई है।
ग्रामीण रघुवीर सिंह,समय सिंह,सोमपाल,चंद्रभान,पालाराम,बलकार सिंह पंच,कश्मीरा सिंह,धर्मसिंह,रणपाल सिंह,नवाब सिंह,दारा सिंह,शोकिंद्र सिंह,जयपाल,धर्मसिंह,पहल सिंह,नारायण सिंह,रामकुमार,व बलिष्ट का कहना है कि गांव का सरपंच प्रशासन के साथ मिली भगत करके नाजायज तरीके से गऊ चरान में बाड़े काट रहा है। जिसको किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा क्योंेिक गांव मे ज्यादातर खेतीबाड़ी करने वाले लोग रहते हैं और वे पशुपालन कर अपना गुजारा करते हैं। गऊ चरान की भूमि का प्रयोग वे अपने पशु चराने के लिए करते हैं। लेकिन गांव का सरपंच जबरदस्ती इस जमीन से बाड़े काटकर बीपीएल परिवारों को देने की बजाय उन लोगों को दे रहा है जिनके पास पहले से ही पक्के मकान हैं। हमारी प्रशासन से मांग है कि इस मामले की जांच की जाये। उन लोगों को बाड़ों का वितरण कराया जाये जो इनके सही हकदार है। साथ ही बाड़े गऊ चरान की जमीन से नहीं बल्कि शामलात भूमि से काटकर दिये जायें। जब इस मामले में गांव के सरपंच बिश्म्भर से बात की गई तो उसने कहा कि जो आदेश उसे ऊपर से मिले है उसी के मुताबिक मैं काम कर रहा हूं। गांववालों के आरोप बेबुनियाद हैं।
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