Sunday, July 31, 2011

साहित्य पढऩे वाला ही बनता है धैर्यवान-चौहान

     
घरौंडा (प्रवीन/तेजबीर)
    हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा अग्रवाल धर्मशाला में साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर मौजूदा दौर में मुंशी प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
    भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राज्य कार्यकारिणी सदस्य सतीश चौहान ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने दबे कुचले लोगों के पक्ष में अपनी कलम चलाई। वे उन लोगों के दर्द की वेदना को गहरे से महसूस करते थे।  उन्होने कहा कि जो साहित्य पढ़ता है वह धैर्यवान बनता है और लोगों के प्रति संवेदनशील होता है। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखे गए उपन्यास सेवासदन के बारे में कहा कि जो इस पुस्तक को पढ़ लेता है तो उसका महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण बदलता है और वह समझने लगता है कि महिलाएं भी इंसान है हमें महिलाओं के प्रति कु्रर नही होना चाहिए। इसलिए जो आदमी साहित्य को जितने देर से पढ़ता है वह उतना ही पछताता है।
    उन्होंने कहा कि इस महान साहित्यकार ने अपने जीवन के तीस सालों के दौरान 10 नॉवेल, 350 कहानियां व उपन्यास लिखे है। उनकी सभी कृतियों में उस समय की सच्चाई ही नही बल्कि आज की सच्चाई को भी दिखाया गया है।
    भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रो. वी.बी. अवरोल ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी बेटो वाली विधवा में पति की मृत्यु के बाद सम्पति में हिस्सा न होने के कारण एक प्रतिष्ठित परिवार की स्त्री की फजीहत को दिखाया गया है।
    हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के जिला संयोजक डा. राजेंद्र सिंह ने मुख्य वक्ता व प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा कि हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति हरियाणा भर में अलग अलग जगहों पर इस महान् साहित्यकार का जन्म दिवस विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से आयोजित करती है और इसी कड़ी में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि जब तक यह दुनिया रहेगी तब मुंशी प्रेमंचद के साहित्य की प्रासंगिकता रहेगी। 


घरौंडा अग्रवाल धर्मशाला में हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति की गोष्ठी में विचार विमर्श करते पदाधिकारी |छाया-तेजबीर 
इस अवसर पर भारत ज्ञान विज्ञान समिति, हरियाणा के कार्यकारिणी के सदस्य राममेहर सिंह, फुरलक गांव के सरपंच व समाज सेवी हवा सिंह, समालखा के अध्यापक विजेंद्र कुमार, सर्व कर्मचारी संघ से शिव प्रसाद, कैमला की पंच सुशीला देवी, जयभगवान, किरण, कमला, ललित, जमील, आनंदपाल, वेदपाल, जगमाल आदि उपस्थित रहे।

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