रादौर,कुलदीप सैनी
प्रशासन द्वारा कुछ दिनों पहले यमुना नदी में छोड़े गए पानी से गुमथला घाट का अस्थायी पुल का काफी हिस्सा पानी में बह गया था। इसके कारण क्षेत्र के लोगों का संपर्क लगभग एक सप्ताह बाद भी उत्तरप्रदेश से टूटा हुआ है। प्रशासन द्वारा यमुनानदी में पानी का बहाव तो कम कर दिया गया है, लेकिन पानी कम होने के बावजूद किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। अभी भी किसानों को चार से पाच फुट पानी से गुजरकर यमुनापार जाना पड़ रहा है। किसान यमुनापार स्थित अपनी हजारों एकड़ गेंहू की फसल को समेटने के लिए बेबस हो गया है, लेकिन वे यमुनापार अपने खेतों तक टै्रक्टर नहीं ले जा पा रहे है। ऐसे में यमुनापार खड़ी किसानों की करोड़ो रूपये की फसल बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है। गाव गुमथला निवासी चेयरमैन मनोज कुमार, सुदेश बंसल, कृष्ण मेहता, अरूण मेहता, सुरजीत¨सह सरपंच, सुनील कुमार, राजीव गर्ग, समेंसिंह आढ़ती ने बताया कि एक सप्ताह पहले पानी के बहाव से टूटे गुमथला घाट के अस्थायी पुल के कारण किसान यमुनापार से अपनी गेंहू की फसल नहीं काट पा रहा है। यमुना में जलस्तर तो कम हो गया है, लेकिन अभी भी टूटे अस्थायी पुल को ठीक नहीं किया गया है। पुल के ठेके की अवधि तीस अप्रैल को खत्म हो रही है। इसलिए ठेकेदार टूटे पुल को बनाने में कोई रूचि नहीं ले रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि यमुनापार गाव गुमथला, जठलाना, संधाला, संधाली, लालछप्पर गाव के लोगों की हजारों एकड़ भूमि पर गेंहू की फसल खड़ी है जो पककर गिर चुकी है। जल्द पुल न बनने पर किसानों को अपनी कड़ी मेहनत से तैयार की गई गेंहू की फसल से हाथ धोना पड़ सकता है। गाव के लोगों ने जिला उपायुक्त अशोक सागवान से माग की कि प्रशासन सैकड़ों किसानों की समस्या को ध्यान में रखते हुए अस्थायी पुल का शीघ्र निर्माण करवाए।
उधर, अस्थाई पुल के ठेकेदार ईमरान खान ने बताया कि उसने 14 लाख रुपये खर्च कर पुल का निर्माण किया था। पुल के बह जाने से उसे दो लाख रुपये का नुकसान हुआ है। उसके ठेके की अवधि तीस अप्रैल को खत्म होने जा रही है। ऐसे में मात्र 6 दिनों के लिए टूटे पुल को बनवाने में उसे लगभग दो लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसलिए वह अस्थायी पुल को बनवाने में असमर्थ है।
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