Tuesday, April 19, 2011

प्रशासन की अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कड़ी निगाह

किसी भी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भ्रूण जाच न हो
करनाल, विजय 
घटते लिंगानुपात में समानता लाने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जिले के 55 अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कड़ी नजर रखेंगे, ताकि किसी भी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर भ्रूण जाच न हो सके।
सिविल सर्जन डॉ. वंदना भाटिया ने सामान्य अस्पताल में चिकित्सा अधिकारियों और अल्ट्रासाउंड सेंटर के संचालकों की बैठक ली। उन्होंने जिले में लड़कियों की कम हो रही संख्या पर चिंता प्रकट की। छह वर्ष से छोटे आयु वर्ग में नई जनगणना अनुसार प्रदेश में एक हजार लड़कों की तुलना में 820 लड़किया है, जबकि वर्ष 2001 की जनगणना में एक हजार लड़कों की तुलना में 809 थी। जिले में गत वर्ष के दौरान 16 हजार 751 लड़के पैदा हुए, जबकि 13 हजार 970 लड़किया। इस प्रकार लिंगानुपात में दो हजार 781 का अंतर पाया है। इतना बड़ा अंतर समाज के लिए बडे़ खतरे से कम नहीं है।
उन्होंने अल्ट्रासाउंड सेंटर के संचालकों अपील की है कि वे घटते लिंगानुपात में समानता लाने में सहयोग दें और सेंटर के रिकॉर्ड को भी सही रखे। कहीं भी अनिमियता पाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उप सिविल सर्जन डॉ. अनीता अग्रवाल ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के लिए पीएनडीटी एक्ट लागू किया गया है। इस एक्ट के तहत लिंग की जाच, उसकी पहचान और उसको नष्ट करना दंडनीय अपराध है। एक्ट का उल्लंघन करने पर पांच वर्ष की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

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