Friday, April 29, 2011

तेंदुए से आधा दर्जन गांवों में दहशत


करनाल,सुरेश अनेजा/विजय कम्बोज 
बड़ागांव के पास स्थित करीब 210 एकड़ के आरक्षित वन क्षेत्र में तेंदुआ विचरण कर रहा है। तेंदुआ होने की खबर से आसपास के पांच गांवों में दहशत है। तेंदुए को काबू करने के लिए दो पिंजरे लगाए गए हैं। उन पिंजरों में बकरा बांधकर उसे ललचाने की कोशिश की गई, ताकि वह जैसे ही पिंजरे में बकरे का शिकार करने आए, तो उसमें बंद हो जाए। उसे बेहोश करने के लिए वन कर्मचारी तीन ट्रांक्यूलाइजर गन के साथ भी डटे रहे। तेंदुए को पकड़ने के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्पेक्टर आजाद सिंह के नेतृत्व में करीब सात कर्मचारी रातभर पिंजरों के पास तैनात रहे।
बड़ागांव के पास स्थित जंगल के साथ लगते फतेह सिंह के खेत में ग्रामीण फूल सिंह बुधवार की रात करीब एक बजे स्ट्रा रिपर से तूड़ी बना रहा था। उसने देखा कि ट्रैक्टर से चंद फुट की दूरी पर ही तेंदुआ जंगली सुअर का शिकार कर खा रहा था। तेंदुए पर जैसे ही ट्रैक्टर की लाइट पड़ी, तो वह उसकी ओर बढ़ने लगा। फूलसिंह की जान सांसत में आ गई। वह ट्रैक्टर को आगे बढ़ाता, तो तेंदुआ उसके साथ बढ़ने लगता और यदि वह ट्रैक्टर को पीछे करता, तो वह उसके साथ ही पीछे होने लगता। करीब दो घंटे तक यह माजरा चलता रहा। फूलसिंह ने बड़ागांव में अपने परिजनों को उस बारे में बताया, तो ग्रामीण लाठी, डंडे, कुल्हाड़ी और टॉर्च लेकर दौड़ पडे़। ग्रामीणों की आवाज सुनकर वह जंगल में भाग गया। करीब चार बजे इस घटना की सूचना मिलते ही कुंजपुरा पुलिस मौके पर पहुंची। उसके बाद वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी पहुंचने शुरू हो गए। ग्रामीण धनसिंह के अनुसार उसने सुबह करीब 10 बजे भी तेंदुए की झलक जंगल में देखी थी।
तेंदुआ आने की खबर मिलते ही कुरुक्षेत्र से दो और पंचकूला से ट्रांक्यूलाइजर गन मंगवाई गई, ताकि उससे उसे बेहोश कर पकड़ा जा सके। वाइल्ड इंस्पेक्टर आजाद सिंह के नेतृत्व में वन कर्मचारियों ने जंगल में तेंदुए की छानबीन भी की, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। उसके बाद डीएफओ नवदीप हुड्डा, रेंज आफिसर सतीश भारद्वाज और रोहतक के डीएफओ सुरेंद्र ने भी मौके का मुआयना किया। जंगल में तेंदुए के पांव के निशान की पहचान भी की गई।
शाम तक तेंदुए का कोई अता-पता नहीं चला। शाम को दो पिंजरों को अलग-अलग जगह रखा गया। उन पिंजरों में दो बकरे बांधे गए। पिंजरों की सरंचना ऐसी है कि यदि वह बकरे का शिकार करने के लिए में उसमें गया है, तो वह फंस जाएगा, जबकि बकरा पिंजरे के दूसरे बाक्स में सुरक्षित रहेगा। उन पिंजरों की निगरानी रखने के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्पेक्टर आजाद सिंह के नेतृत्व में करीब आठ कर्मचारी ट्राक्यूलाइजर गन से लैस होकर डटे थे, ताकि पिंजरे में कैद होने के बाद तेंदुआ छूट न जाए।

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