करनाल विजय कम्बोज
उपायुक्त श्रीमती नीलम प्रदीप कासनी ने तरावडी कस्बा व आसपास के गांवों के टी.बी. रोग से पीडि़त मरीजों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के उददेश्य से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तरावड़ी में स्थापित डायग्नोस्टिक माइक्रोस्कोपिक सेन्टर (डी.एम.सी.) का उदघाटन किया। इसके अलावा उन्होंने इसी केन्द्र में परिवार नियोजन की सुविधा के लिये बनाए गये आप्रेशन थियेटर का भी उदघाटन किया।इस मौके पर श्रीमती कासनी ने कहा कि जिन मरीजों को टी.बी. रोग की जांच के लिये नीलोखेड़ी या करनाल जाना पड़ता था वे मरीज अब यहीं पर अपनी जांच करवा सकेंगे। उन्होंने कहा कि टी.बी. की बीमारी की जांच कराने के लिये पूरे जिले में अब ऐसे 15 सेन्टर हो गये है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं आशा वर्कर की देखरेख में 6 से 8 महीने तक टी.बी. का ईलाज किया जाता है। यहीं नहीं टी.बी. के इ्र्रलाज के लिये दवाईयां भी मुफ्त प्रदान की जाती हैं। उन्होंने बताया कि टी.बी. के ईलाज के लिये सरकार ने डॉट्स प्रणाली लागू की है जिसमें टी.बी. के मरीजों को दवाईयां स्वास्थ्यकर्ता की सीधी देखरेख में खिलाई जाती है और यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सही दवाई निश्चित मात्रा में निश्चित समय पर और पूरी अवधि तक खाकर जल्दी से जल्दी रोगमुक्त हो जाये। उन्होंने कहा कि टी.बी.पर काबू पाने के लिये हम सबको अपना योगदान देना चाहिये तभी हम देश को टी.बी. रोग से मुक्त करा सकते हैं। यह बीमारी लाईलाज नहीं है इसका ईलाज संभव है।इस अवसर पर सिविल सर्जन करनाल डाक्टर वंदना भाटिया, उप सिविल सर्जन डाक्टर अमर बजाज व डाक्टर अनिता अग्रवाल, एस.एम.ओ. डाक्टर वी.के.अग्रवाल सहित अस्पताल का पूरा स्टाफ उपस्थित था।
गेंहू की कटाई के बाद अवशेषों को नहीं जलाए
करनाल 11 मई
उपायुक्त श्रीमती नीलम प्रदीप कासनी ने तरावडी कस्बा व आसपास के गांवों के टी.बी. रोग से पीडि़त मरीजों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के उददेश्य से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तरावड़ी में स्थापित डायग्नोस्टिक माइक्रोस्कोपिक सेन्टर (डी.एम.सी.) का उदघाटन किया। इसके अलावा उन्होंने इसी केन्द्र में परिवार नियोजन की सुविधा के लिये बनाए गये आप्रेशन थियेटर का भी उदघाटन किया।इस मौके पर श्रीमती कासनी ने कहा कि जिन मरीजों को टी.बी. रोग की जांच के लिये नीलोखेड़ी या करनाल जाना पड़ता था वे मरीज अब यहीं पर अपनी जांच करवा सकेंगे। उन्होंने कहा कि टी.बी. की बीमारी की जांच कराने के लिये पूरे जिले में अब ऐसे 15 सेन्टर हो गये है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं आशा वर्कर की देखरेख में 6 से 8 महीने तक टी.बी. का ईलाज किया जाता है। यहीं नहीं टी.बी. के इ्र्रलाज के लिये दवाईयां भी मुफ्त प्रदान की जाती हैं। उन्होंने बताया कि टी.बी. के ईलाज के लिये सरकार ने डॉट्स प्रणाली लागू की है जिसमें टी.बी. के मरीजों को दवाईयां स्वास्थ्यकर्ता की सीधी देखरेख में खिलाई जाती है और यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सही दवाई निश्चित मात्रा में निश्चित समय पर और पूरी अवधि तक खाकर जल्दी से जल्दी रोगमुक्त हो जाये। उन्होंने कहा कि टी.बी.पर काबू पाने के लिये हम सबको अपना योगदान देना चाहिये तभी हम देश को टी.बी. रोग से मुक्त करा सकते हैं। यह बीमारी लाईलाज नहीं है इसका ईलाज संभव है।इस अवसर पर सिविल सर्जन करनाल डाक्टर वंदना भाटिया, उप सिविल सर्जन डाक्टर अमर बजाज व डाक्टर अनिता अग्रवाल, एस.एम.ओ. डाक्टर वी.के.अग्रवाल सहित अस्पताल का पूरा स्टाफ उपस्थित था।
गेंहू की कटाई के बाद अवशेषों को नहीं जलाए
करनाल 11 मई
उपायुक्त नीलम प्रदीप कासनी ने जिला के किसानों को चेतावनी दी कि वे गेंहू की कटाई के बाद अवशेषों को नहीं जलाए अगर कोई किसान ऐसा करता पाया गया तो उनके खिलाफ कडी कार्यवाही की जायेगी।उपायुक्त ने तरावडी जाते हुए खेतों में लगी आग को देखा और उन्होंने कृषि विभाग के उप निदेशक को निर्देश दिए हैं कि जिन खेतों में आग लगी हुई है उनके मालिकों को नोटिस दे और उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करें। उन्होंने कहा कि कम्बाईन से गेंहू की कटाई के बाद उसके अवशेषों को खेत में न जलने दें और किसानों को जागरूक करें कि सरकार ने खेत में गेंहू के अवशेष जलाने पर रोक लगाई हुई है क्योंकि इससे प्रदूषण फैलता है और भूमि की उपजाऊ शक्ति भी नष्ट होती है। यही नहीं न्यायालय ने भी फसल के अवशेषों को जलाने पर रोक लगाई हुई है। इसके बावजूद कुछ लोग खेतों में गेहू के फानों में आग लगा देते हैं। इस कारण प्रदूषण तो फैलता ही है साथ ही आसपास के खेतों में खडी फसल भी जल जाने की घटनाएं हो रही हैं। उपायुक्त ने कहा कि जो खेत हमें अन्न देते है उनमें ही आग लगाना महापाप भी है। इससे एक ही खेत में करोंडों मित्रकीट जल जाते हैं जिससे फसलों में नई-नई बीमारियां आ रही हैं।
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