Friday, May 6, 2011

आज की लड़क़ी कल के समाज का भविष्य है


इन्द्री 6 मई,सुरेश अनेजा       
    जिले के कलसोरा गांव की रेनू को इस बात का मलाल नहीं है कि उसके घर लडका नहीं है केवल 4 लडकियां है। वह लडकियों को मां सरस्वती के रूप में देखती है और उनकी आशा है कि यही लडकी एक दिन अंतरिक्ष परी करनाल की कल्पना चावला की तर्ज अपने गांव व अपने खानदान का नाम रोशन करेंगी। एक बातचीत में रेनू ने मुस्कान भरी आवाज से बताया कि कन्याभ्रूण हत्या करने वाला व्यक्ति या औरत इतना ही दोषी है जितने एक जीवित व्यक्ति को मार देना। उन्होंने कहा कि लडक़े का स्थान लडक़ी नहीं ले सकती परन्तु लडक़ी का स्थान भी लडका कभी नहीं ले सकता।     उन्होंने कहा कि लडकी आज किसी भी रूप में कम नहीं है परन्तु समाज के कुछ इज्जतदार लोगों की घिनौनी हरकतों से काफी दुखी हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिये समाज के ठेकेदारों को समझना चाहिये कि आज की लड़क़ी कल के समाज का भविष्य है। यदि लडकी नहीं होगी तो लडका कहां से पैदा होगा। उन्होंने कहा कि गरीब व्यक्ति के घर लडकी पैदा हो और उसका लालन पालन ठीक प्रकार से हो इसका जिम्मा कुछ हद तक हरियाणा सरकार ने भी लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लडक़ी की शिक्षा लगभग मुफ्त है। शादी के लिये सरकार द्वारा 31 हजार रुपये अनुदान के रूप में दिये जा रहे हैं। इतना ही नहीं तीन लडकियों की मां को तो 500 रुपये माहवार के हिसाब से सरकार द्वारा दिये जा रहे हैं।
        इसी गांव की मूर्ति देवी भी राजकीय सीनियर सेकैण्डरी स्कूल कलसोरा के स्कूल में चल रहे जिला सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के कन्याभ्रूण हत्या के खिलाफ चल रहे विशेष प्रचार अभियान में पहुंची। मूर्ति देवी कलाकारों द्वारा कमला नाटक की प्रस्तुति देखकर भावुक हो गई वह बोली की मेरे घर भी 8 लडकी थी परन्तु अब भी 5 जिंदा है। मेरी सारी लडकी पढ रही हैं बल्कि बड़ी लडकी पूजा की तो कुछ समय पहले शादी कर दी है। परन्तु हमें अपनी लडकियों पर नाज है। उन्होंने कभी हमें लडके की याद नहीं आने दी। उन्होंने कहा कि हमारी लडकियां हमें ही कहती है मां क्या जो काम भाई कर सकता था हम नहीं कर सकते इस पर वह कई बार भावुक होकर कहती है बेटा कुछ दिन पहले हमने अखबार में देखा था कि कुरूक्षेत्र जिले की ए.डी.सी. सुमेधा कटारिया ने अपने भाई की कमी उस समय पूरी की जब उनकी माता का देहान्त हो गया और लडकी होते हुए उसी ने अपनी मां की अर्थी को उठाकर दाग लगाया।
        गढी बीरबल की शिक्षित महिला कृष्णा देवी आंगनवाडी में वर्कर है उनकी चार बेटियां हैं। उन्होंने कहा कि समाज में पुरूष प्रधान होने के कारण लडके को महत्व दिया जाता है परन्तु आज महिलाएं भी अपने हको को समझने लगी हैं। यही कारण है कि आज अनेक उच्च पदों पर महिलाएं विराजमान हैं। उन्होंने महिलाओं से अपील की कि वे महिलाओं की इज्जत को समझें। महिलाओं के काम आएं, महिला ही सही मायने में देश और समाज के विकास में सहयोग कर सकती है। उन्होंने कहा कि वे पुरूषों के खिलाफ नहीं है कई मायनो में पुरूषों का भी विशेष योगदान होता है। महिला और पुरूष एक गाडी के दो पहियें हैं। इन दोनों के बिना किसी भी प्रकार का समाधान संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गर्भ में ही कन्याभ्रूण करवाने वाले महिला व पुरूष को कठोर से कठोर सजा का प्रावधान करना चाहिये तथा समाज में फैली कुप्रथाएं जैसे दहेज, अनमेल विवाह, अशिक्षा, बाल विवाह पर रोक लगानी चाहिये। उन्होंने कहा कि लडकियों को बढावा देने के लिये सरकार द्वारा चलाई जा रही विशेष योजनाओं का लाभ उठाना चाहिये। 

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