Thursday, August 11, 2011

सरपंच 10 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया


इन्द्री विजय काम्बोज
विजिलैंस ने गांव जनेसरों के सरपंच को गांव के गुलबाहर अली से 10 हजार रूपये की रिश्वत लेता हुआ रंगे हाथो पकड़ लिया। विजिलैंस ने सरपंच को गिरफतार कर उसके खिलाफ  केस दर्ज लिया हैं। इस घटना की खबर गांव में आग की तरह फै ल गई। लोगों ने सरपंच के खिलाफ  कई तरह की चर्चाएं शुरू कर दी। विजिलैंस विभाग के अधिकारी से मिली सूचना के  अनुसार गांव जनेसरों के  सरपंच सुनील कुमार ने गांव के गुलबाहर अली से वृक्ष कटवाने के नाम पर रिश्वत की मांग की। वृक्ष क टवाने का पक्षधर व्यक्ति अपने घर में वृक्ष के मरफ त करंट जाने से परेशान था। इस व्यक्ति ने इस मामले में सरपंच से वृक्ष कटवाने का अनुरोध किया। सरपंच ने पहले तो वृक्ष कटवाने में अनाकानी की लेकिन उक्त व्यक्ति द्वारा अपनी दूख भारी व्याख्य सुनाकर ले देकर वृक्ष कटवाने की पेशकस की। इसके बाद सरपंच ने उक्त व्यक्ति से 50 हजार रूपये देने की मांग की और कहा कि वृक्ष कटने के बाद वृक्ष की राशि बांट लेगें। आखिर में 10 हजार रूपये की रिश्वत देने के सौदे पर सरंपंच रजामंद हो गया। सरपंच ने 10 हजार रूपये देने के बाद ही वृक्ष कटवाने की जिद पकडी तो उक्त व्यक्ति विजिलैंस की श्रण में जा पहुंचा। विजिलैंस के अधिकारियों ने योजनाबद्द तरीके से आज उस समय सरपंच को रंगे हाथों दबोच लिया जब वह गांव के ही गुलबाहर अली से 10 हजार रूपये की रिश्वत ले रहा था। हालंाकि सरपंच ने मौके से भागने का प्रयास किया लेकिन विजिलैंस टीम ने उसे भागने नहीं दिया। सरपंच के हाथ धूलवाने के बाद उससे रिश्वत की राशि बरामद कर ली गई। विजिलैंस ने इस मामले में के स दर्ज कर सरपंच को गिरफतार कर लिया।  


विशेष आवश्यकता वाले बच्चे अशक्त नहीं, भिन्न प्रकार से योग्य हैं: अरुण कुमार
इन्द्री,विजय काम्बोज
उपमण्डल के गांव चौगावां स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान के लिए अध्यापकों की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में विशेष अध्यापक अरुण कुमार ने कहा कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चे अशक्त नहीं हैं, वे भिन्न प्रकार से योग्य हैं। उनकी क्षमताओं का विकास करने के लिए उनकी बाधाओं को समझने और विशेष प्रकार के प्रयास किए जाने की जरूरत है। बैठक का संचालन विशेष अध्यापक ज्ञानचंद तथा अध्यक्षता स्कूल इंचार्ज सतीश कुमार ने की।
विशेष अध्यापक ने कहा कि बच्चों की देखने, सुनने, बोलने, चलने-फिरने व मानसिक कार्य करने की बाधाओं को सकारात्मक ढ़ंग से लिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बच्चों की बाधाओं के प्रति नाकारात्मक धारणाओं ने ही उन्हें विकलांग बना दिया है, नहीं तो कोई भी बच्चा या व्यक्ति विकलांग नहीं होता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को पडऩे वाले मिर्गी के दौरों व मानसिक रागों की स्थिति में समुचित इलाज के लिए समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत बताते हुए शारीरिक रोगों के वक्त तो लोग स्वास्थ्य सेवाओं का सहारा लेते हैं लेकिन मानसिक रोग होने पर लोग स्वास्थ्य सेवाओं की बजाय झाड़-फूक का सहारा लेते हैं। टोनो-टोटकों के चक्कर में बिमारी बढ़ती चली जाती है जिससे बच्चा मानसिक रूप से अशक्त हो सकता है। उन्होंने अधिगम अशक्तता, ऑटिस्म, सेरिब्रल पाल्सी के बारे में भी बच्चों को विस्तार से बताया। इस मौके पर अध्यापक पृथ्वी लाल, सुरेन्द्र सिंह, सुशील कुमार, बाबू राम, प्रदीप कुमार, धर्मवीर, राज बाबू, मदन पाल, ईश्वर सिंह उपस्थित रहे। 


अवैध रूप से चलाये जा रहे क्लीनिक पर अधिकारियों ने मारा छापा
करनाल विजय काम्बोज
ईलाज के नाम पर भोले-भाले लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले झोला छाप डाक्टरों की अब खैर नहीं। एक शिकायत के आधार पर औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने स्थानीय राम नगर में श्रीराम क्लीनिक के नाम से डाक्टरी की दुकान कर रहे झोला छाप अनिल शर्मा को पकड़ा है। कथित डाक्टर की दुकान से अलग-अलग नाम व कम्पनियों की 30 तरह की अंग्रेजी दवाईयां बरामद हुई जो अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले ली। 
झोला छाप डाक्टर की दुकान पर छापा मार कर उसे पकडऩे वाले अधिकारियों में वरिष्ठ औषधि नियत्रण अधिकारी पदम सिंह राठी तथा औषधि नियंत्रण अधिकारी परविन्द्र मलिक ने बताया कि अनिल शर्मा काफी दिनों से बिना किसी डिग्री के डाक्टरी का धन्धा कर रहा था। पूछे जाने पर भी वह कोई रजिस्ट्रेशन व लाईसैंस नहीं दिखा पाया। परिणामस्वरूप उसके खिलाफ ड्रग एवं कोस्टमैटिक एक्ट 1940 के फार्म-16 के तहत दुकान से मिली दवाईयों को सी.जे.एम की कोर्ट से कस्टडी आर्डर प्राप्त करने के बाद, कब्जे में ले लिया गया है और कथित डाक्टर के खिलाफ कार्यवाही करते हुए रामनगर पुलिस चौकी में प्राथमिकी दर्ज करवा दी गई है। परविन्द्र मलिक ने बताया कि जिला में कथित झोला छाप डाक्टरों की धरपकड़ जारी रहेगी। चालू मास में इस तरह के डाक्टरों के विरूद्ध 4 एफ.आर.आई दर्ज करवा दी गई है। ऐसे डाक्टरों के खिलाफ कार्यवाही के फलस्वरूप 3 साल से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है।  



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