करनाल विजय काम्बोज
हरियाणा सरकार ने जिले के सभी किसानों ऋणी, अऋणी, बंटाईदार, काश्तकार व पट्टेदार के लिए खरीफ मौसम 2011 की फसलों के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरैंस कम्पनी ऑफ इन्डिया के माध्यम से मोडीफाईड राष्ट्रीय बीमा योजना लागू की है। यह बीमा धान की आंकलित वास्तविक प्रीमियम दर पर किया जाएगा। इसके लिए किसानों को नाम मात्र प्र्रीमियम देना होगा। कृषि विभाग के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले के ग्रामीण स्तर पर धान की उपज करने वाले किसानों के लिए हरियाणा सरकार ने उनकी फसल के नुकसान की भरपाई करने के लिए मोडीफाइड राष्ट्रीय बीमा योजना लागू की है। इस योजना के तहत गांव स्तर के किसानों को ही शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एक अनुमान के अनुसार यदि एक हैक्टेयर भूमि पर 45 हजार 700 रुपए की फसल की कीमत का आंकलन करके बीमा करवाया जाए तो इसके लिए वास्तविक प्रीमियम 695 रूपए प्रति एकड़ बनता है। इसमें से किसानों को 417 रूपए एकड़ प्रीमियम देना होगा बाकी का प्रीमियम सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ जिले के समस्त किसान जिन्हें वित्तीय संस्थाओं अथवा सहकारी समितियों द्वारा 20 अगस्त 2011 तक ऋण सीमा स्वीकृत की गई है, वे किसान इस योजना के पात्र होंगे। उन्होंने कहा कि यदि किन्हीं कारणों से योजना के अनुसार पात्र किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता तो किसानों को होने वाली हानि की जिम्मेवारी सीधी वित्तीय संस्थाओं की होगी, जहां से उन्होंने ऋण लिया है। उन्होंने किसानों से अनुरोध भी किया कि जो किसान कृषि कार्य के लिए ऋण ले रहे हैं तो वे अपने बैंको से सूचना प्राप्त कर ले कि उनकी फसलों का बीमा हुआ है या नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे किसान जिन्होंने किसी भी बैंक से फसलों का ऋण नहीं लिया है, वे भी गांव के सरपंच, राजस्व अधिकारी, कृषि अधिकारी व स बन्धित पटवारी से फसल की बुआई का प्रमाण-पत्र तथा निर्धारित प्रीमियम राशि जमा करवा कर अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत प्राकृतिक आपदाओं, बाढ़, सूखा, कृमियों एवं रोगो के कारण फसलों को नुकसान होने पर या उपज में कमी होने से क्षति पूर्ति देय होगी। उन्होंने कहा कि उत्पादता के आंकड़ों के आंकलन के बाद ही भुगतान का दावा किया जा सकता है। ओलावृष्टि एवं भूस्खलन के मामले में व्यक्तिगत आधार पर क्षति का आंकलन किया जाएगा। इस कारण जिन बीमित किसानों को फसल की हानि होती है, वे 48 घण्टे के अन्दर-अन्दर बीमित फसल के ब्यौरे, क्षति की मात्रा तथा कारण सहित सभी सूचना एग्रीकल्चर इंश्योरैंस कंपनी आफ इन्डिया के क्षेत्रीय कार्यालय चण्डीगढ़ को तत्काल दे।
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