Saturday, August 20, 2011

जीवन शैली में सुधार लाने का सशक्त माध्यम है : साक्षरता


करनाल सुरेश अनेजा
  साक्षर भारत कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जो हर उस निरक्षर तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है जिसे अभी तक शिक्षा हासिल करने का अवसर नहीं मिला है। विशेषत: वे महिलाएं, दलित, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यक और अन्य वंचित तबके के व्यक्ति अपने घर के आसपास ही साक्षरता केन्द्रों में शिक्षा ग्रहण करके अपनी जीवन शैली में सुधार लाने में कामयाब होंगे। 
हमारा देश गांवों का देश है। देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। आजादी के बाद सरकार ने शिक्षा पर बहुत जोर दिया। हर गांव में स्कूल खोले गए ताकि बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिले, किन्तु बहुत से लोग किन्हीं कारणों से शिक्षा प्राप्त करने के अवसरों का लाभ नहीं उठा सके। अब ऐसे निरक्षर लोग सरकार द्वारा चलाए गए साक्षर भारत जैसे दूसरे अवसरों का लाभ उठाएं। इसके लिए साक्षर भारत कार्यक्रम में शामिल होकर शिक्षित होने का एक और मौका पा सकते हैं।  साक्षर भारत कार्यक्रम के अन्तर्गत 15 वर्ष से अधिक आयु के युवा लडक़े-लड़कियां, भूतपूर्व सैनिक, स्कूल अध्यापक और अन्य लोग स्वेच्छा से अपनी सेवाएं देकर निरक्षरों को पढ़ायेंगे। कायदों(प्रवेशिकाओं) सहित पढऩे-पढ़ाने की सारी सामग्री सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जायेगी। बुनियादी साक्षरता से आगे नवसाक्षर तीसरे, पांचवे, आठवें दर्जे और इनसे ऊपर की पढ़ाई भी समतुल्यता कार्यक्रम के जरिये कर सकेंगे। इसके लिए हर गांव में पंचायत द्वारा पुस्तकालय स्थापित किया जायेगा धीरे-धीरे ग्राम पंचायत द्वारा स्थापित लोक शिक्षा केन्द्र में टी.वी., कम्प्यूटर और अन्य आधुनिक सुविधाए भी उपलब्ध करवाई जायेगी। राष्ट्रीय साक्षरता  मिशन कार्यक्रम का उददेश्य बेहतर गुणवत्ता व बेहतर स्तर की साक्षरता तथा प्रौढ शिक्षा के जरिए पूर्ण साक्षर समाज की स्थापना करना है। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण महिलाएं, अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्प संख्यक तथा अन्य अपेक्षित तबके के समूह को प्राथमिकता के आधार पर साक्षर किया जाना है। साक्षरता  एक व्यक्ति के आत्म-सम्मान में बढोतरी करने, सशक्त बनाने, आगे पढऩे के लिए नींव के तौर पर, प्रोद्यौगिकी तक पहुंचाने तथा बेहतर आजीविका के लिए तथा अन्य अवसरों तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम है। साक्षर भारत कार्यक्रम की मूल भावना है कि महिला साक्षरता दर सामाजिक विकास कार्यक्रमों की ताकत को कई गुणा बढ़ावा देने में लाभदायक सिद्ध होगी। 
ग्राम पंचायत द्वारा स्थापित हर लोक शिक्षा केन्द्र में साक्षर भारत कार्यक्रम की गतिविधियां चलाने व तालमेल के लिए दो पूर्णकालिक प्रेरक रखे जा रहे हैं। इन प्रेरकों को मानदेय भी दिया जाता है।  हर गांववासी की साक्षर भारत कार्यक्रम तक पहुंच आसान होगी। साक्षर भारत कार्यक्रम को लागू करने में ग्राम पंचायतों और पंचायत प्रधानों की अहम भूमिका रहेगी। ग्राम पंचायत गांव में इस कार्यक्रम को लागू करेगी और नेतृत्व प्रदान करेगी। ग्राम पंचायत स्तर पर साक्षर भारत कार्यक्रम के लिए प्रबंधकीय ढांचा ग्राम पंचायत लोक शिक्षा समिति है। पंचायत अध्यक्ष अर्थात सरपंच ही पंचायत लोक समिति का प्रधान होगा। पंचायत सदस्यों में से ही किसी एक को समिति के उपाध्यक्ष पद के लिए चुना जाता है। ग्राम पंचायत लोक शिक्षा समिति के 15 सदस्य होंगे जिसमें 50 प्रतिशत महिलाएं होंगी। इनमें से पंचायत की चुनी हुई महिला सदस्य 3, ग्रामीण समाज के प्रतिनिधि 3 जिनमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अल्पसंख्यकों का समान अनुपात होगा। इसके अतिरिक्त स्थानीय स्कूल का प्रधानाचार्य या अध्यापक, ग्राम शिक्षा समिति का सदस्य सचिव, महिला मंडल  या स्वयं सहायता समूह का प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, दो शिक्षार्थी समूह के प्रतिनिधि, पढ़ा-लिखा या प्रभावशाली व्यक्ति (सरकारी मुलाजिम या डाक्टर आदि), सदस्य सचिव लोक शिक्षा केन्द्र का वरिष्ठ प्रेरक शामिल है। 
करनाल जिला में साक्षरता मिशन कार्यक्रम की गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए अतिरिक्त उपायुक्त एम.के. पांडुरंग ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत जिले के लगभग एक लाख  25 हजार अनपढ़ व्यक्तियों को साक्षर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए जिले में 744 प्रेरक नियुक्त किये जाने हैं। जिनमें से अब तक 632 प्रेरक नियुक्त किये जा चुके हैं शेष प्रेरकों की नियुक्ति भी शीघ्र की जायेगी। 













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