Saturday, August 13, 2011

जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए शुरू किया गया एक महाअभियान


इन्द्री सुरेश अनेजा
धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र से समूचे विश्व के लिए जल सरंक्षण का एक और महत्वपूर्ण संदेश देने की योजना तैयार की गई है। भू-जलस्तर की दृष्टि से हरियाणा प्रदेश की स्थिति बहुत शोचनीय बनी हुई है। यहां का भू-जलस्तर तेजी से नीेचे आ रहा है। जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से ही धर्मभूमि कुरूक्षेत्र से जलदूत नाम से एक अभियान शुरू किया जा रहा है। दिल्ली,चंडीगढ़,कुरूक्षेत्र व हरियाणा के अन्य सभी जिलों से सामाजिक संस्थायें जल सरंक्षण की इस मुहिम के क्रियान्वयन में सहयोग कर रही हैं। इस अभियान के पहले चरण सैंकड़ों युवाओं द्वारा कुरूक्षेत्र के पावन ब्रहम्सरोवर से चंडीगढ़ तक पदयात्रा की जायेगी। लगभग चार दिन तक चलने वाली यह पदयात्रा अपने आप में एक विश्व कीर्तिमान होगी। इस पदयात्रा में शामिल होने वाले सभी जलदूत पदयात्रा के समापन पर जल संरक्षण का महत्वपूर्ण संदेश लेकर जायेंगे जो अपने-अपने स्तर पर स्वैच्छिक रूप से प्रशिक्षण शिविर लगाकर जल की बचत करने के लिए लोगों को जागरूक करेंगे। इस तरह की पदयात्रायें पूरे प्रदेश में आयोजित की जायेंगी। जल सरंक्षण के इस अभियान को सफ ल बनाने के लिए परम्परागत प्रिंट मीडिया,ऑडियो,वीडियो व नवीन मीडिया के सभी उपलब्ध साधनों का प्रयोग किया जायेगा। इसके अतंर्गत प्रदेश भर में कविता प्रतियोगिता,भाषण प्रतियोगिता,पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता,निबंध लेखन प्रतियोगिता,प्रश्रोत्तरी कार्यक्रम,काव्य संग्रह,स्लोगन लेखन,राष्ट्रीय सेमीनार,नुक्कड़ नाटक,मोबाइल मैसेज,ऑन लाईन मोटीवेशन कार्यक्रम,ई-मेल,ऑडियो सीडी,वीडियो एलबम,डॉक्यूमेंट्री फि ल्म,टेलीफि ल्म,शॉर्ट फि ल्म और फ ीचर फि ल्म का निर्माण व प्रदर्शन भी मुख्य रूप सेशामिल है |
इस जलदूत अभियान के तहत जल सरंक्षण के प्रति गंभीर रूप से काम करने वाले व्यक्ति के लिए एक पुरस्कार जलदूत का प्रावधान भी किया गया है। ताकि जल सरंक्षण के प्रति अधिक से अधिक लोग प्रेरित हों और वे अपने-अपने गांव,जिला या प्रदेश में जल सरंक्षण के प्रति सक्रि य योगदान दे सकें। बरसाती पानी सहेजने की सभी तकनीकों का प्रचार प्रसार भी जल संरक्षण के इस महाअभियान का अभिन्न अंग होगा।इस योजना के सूत्रधार राजकुमार सैनी के अनुसार गंगा-यमुना-सरस्वती को माँ का दर्जा देने वाले, नर्मदा,कावेरी व गोदावरी का पूजन करने वाले हम भारतीयों को जल के आदि देवता वरूण देव का सत्कार कर जल संरक्षण करना सीखना होगा तभी हम अपने साथ-साथ औरों की भी प्यास बुझा सकते हैं। अगर हम अभी भी हम सभी इस पंच महाभूत की कद्र करने के प्रति न चेते तो आने वाले लगभग 15 सालों में पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ेगा। भविष्य में जल संकट कितना गंभीर होगा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सन् 2025 तक तीन अरब अतिरिक्त जनसंख्या के लिए 20 प्रतिशत और पानी की आवश्यकता होगी। तब हमारे जैसे विकासशील देशों में तीन में से एक व्यक्ति को पीने व नहाने के लिए पानी तलाशना होगा। इस स्थिति में हमारे लिए एक ही विकल्प बचा है और वो है वर्तमान में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता। क्योंकि बचत ही बचाव है। इस महाअभियान से युवाओं को अधिक से अधिक जोड़ा जा रहा है। हरियाणा के सभी जनसंचार शिक्षण संस्थानों के छात्रों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है। क्योंकि यही छात्र आने वाले कल के पत्रकारिता व जनसंपर्क  के क्षेत्र में कार्य करेंगे। इस महाअभियान में उन्हें बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा। इस अभियान के कुशल क्रियान्वयन के लिए प्रमुख समाजसेवी महेंद्र सिंह पंजोखरा,ऋषि घनश्याम शांडिल्य,राजेश कुमार धूमसी,डॉ.जितेंद्र गिल,लॉयन कृष्णलाल वर्मा, राजकुमार सैनी,हरीश कुमार,सुंदर सिंह चांदसमंद,जगमाल धूमसी,भीम पंजोखरा,गुरमीत धूमसी,नरेश गढ़ी गुजरान,राजबीर आदि प्रमुख रूप से सहयोग कर रहे हैं।

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